अग्रिम जमानत क्या होती है?



भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो उसके विरुद्ध पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा के कार्यवाही की जा सकती है | भारतीय दंड संहिता में अपराध भी दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जमानती अपराध और गैर जमानती अपराध | जमानती अपराध में यदि किसी निर्दोष व्यक्ति को यह आभास होता है, उसके विरुद्ध पुलिस द्वारा कार्यवाही की जा सकती है, तो वह अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में जा सकता है |

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रिट क्या है?

अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) क्या होती है?

अग्रिम जमानत का अर्थ है कि गिरफ्तार होने से पहले कोर्ट द्वारा रिहा करना | अग्रिम जमानत में व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता है | जमानत एक अस्थायी स्वतंत्रता है | आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश जमानत या अग्रिम जमानत प्रदान करते है | अग्रिम जमानत देने का उद्देश्य निर्दोष व्यक्ति की गरिमा को बचाना है | इसमें अपराध सिद्ध होने तक या न्यायाधीश के विवेकानुसार निश्चित समय तक अग्रिम जमानत प्रदान की जाती है |

अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कब किया जा सकता है?

  • यदि किसी व्यक्ति को आशंका होती है कि उसकी गिरफ्तारी हो सकती है, तो वह व्यक्ति अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है | अगर कोर्ट उसे अग्रिम जमानत दे देती है, तो उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है |
  • यदि किसी व्यक्ति को रंजिश के कारण अपराधी बताया जाता है, तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है |
  • अगर अभियुक्त को लगता है उसे किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, जो उसने किया ही नहीं है | उस समय वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है |
  • अपराध में यह जानना आवश्यक है, की वह जमानती है या गैर-जमानती | जमानती अपराध में जमानत प्राप्त करना एक अधिकार है |

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)



अग्रिम जमानत के नियम (Rule)

  • भारतीय दंड संहिता की धारा-438 के तहत अग्रिम जमानत की व्यवस्था की गयी है | इस धारा का प्रयोग उस समय किया जा सकता है, जब कोई आरोपी को अंदेशा होता है कि अमुक मामले में वह गिरफ्तार हो सकता है, तो वह गिरफ्तारी से बचने के लिए आवेदन कर सकता है |
  • न्यायाधीश पर्सनल बॉन्ड के साथ जमानती पेश करने के लिए आदेश पारित कर सकते है | अगर 10 हजार रुपये की जमानती पेश करने का आदेश दिया जाता है, तो अपराधी को इतनी राशि कोर्ट में जमा करनी होती है |
  • एफआईआर होने से पहले किसी व्यक्ति को लगता है कि उसकी गिरफ्तारी हो सकती है, तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है, उस समय कोर्ट पुलिस को यह आदेश करती है, यदि कोई एफआईआर अमुख व्यक्ति के खिलाफ दर्ज होती है तो एफआईआर दर्ज होने के बाद उस व्यक्ति को सात दिन या जब तक कोर्ट कहे दिन पहले उस व्यक्ति को सूचित करना होगा और एफआईआर की कॉपी देनी होगी |
  • एफआईआर होने के बाद यदि अभियुक्त को यह जानकारी होती है, कि उसको गिरफ्तार किया जा सकता है, तो वह धारा-438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है |

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