चुनाव बांड (Electoral Bond) क्या है



भारत में अनेक राजनीतिक पार्टियाँ है, और चुनाव के दौरान सभी लोग अपनी-अपनी पार्टी को जिताने के लिए हर संभव प्रयास करते है | इसके साथ ही वह पार्टी को आर्थिक रूप से भी सहयोग करते है, इसके लिए वह पार्टी को कुछ धनराशि चंदे के रूप में देते है | हालाँकि चुनावी चंदा लेने का यह चलन आज से नहीं बल्कि कई दशको पुराना है |

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चुनाव के दौरान अधिकांश लोग अपने काले धन से बचने के लिए राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं | चुनाव में इस प्रकार की फंडिंग व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार द्वारा चुनावी बांड की शुरुआत वर्ष 2017-18 में की गयी थी | आखिर यह चुनाव बांड (Electoral Bond) क्या है? इसके बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है |

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चुनाव बांड का क्या मतलब होता है ?

सरकार का मानना है, कि चुनाव में खर्च किये जानें वाले धन में सबसे अधिक कालाधन होता है, जबकि पोलिटिकल पार्टीज यह कहती है कि यह धन उन्हें उनके समर्थको द्वारा चंदे के रूप में मिला है | इस तरह की परिस्थितियों को देखते हुए सरकार नें वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान चुनाव बांड शुरू करनें की घोषणा की थी, ताकि राजनीतिक पार्टियों को मिलनें वाले धन से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की जा सके |



सरकार नें पोलिटिकल पार्टियों को मिलनें वाले चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बांड की शुरुआत की है | इलेक्टोरल बांड एक ऐसा बॉन्ड होता है, जिसमें करेंसी नोट (Currency Note) अर्थात उसकी मुद्रा अंकित होती है | इस बांड का प्रयोग किसी भी राजनीतिक पार्टी, संस्था या किसी व्यक्ति को पैसा दान करनें के लिए किया जाता है | इन बांड्स की न्यूनतम कीमत 1000 हजार तथा अधिकतम कीमत 1 करोड़ रुपये है |  

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चुनाव बांड जारी करने का उद्देश्य (Purpose Of Issuing Electoral Bond)

अभी तक चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों को चंदे के रूप में नगद धनराशि प्राप्त होती थी, जिसका पार्टी के पास कोई लेखा-जोखा नहीं होता है | पार्टी द्वारा सिर्फ यही दर्शया जाता है, कि यह राशि चंदे के रूप में प्राप्त हुई है | सरकार नें इस प्रक्रिया को प्रतिबंधित करते हुए चुनाव बांड की शुरुआत की, जिससे सरकार को यह जानकरी आसानी से प्राप्त हो जाती है कि किस पार्टी को कितनी धनराशि किससे प्राप्त हुई है | दूसरी सबसे बड़ी बात यह है, कि इससे काले धन पर रोक लगेगी |

इलेक्शन कमीशन की सिफारिश पर 2017-18 के बजट सत्र में नगद रूप से दान देने की सीमा को दो हजार रुपये कर दिया था | कहनें का आशय यह है, कि यदि कोई पार्टी 2000 रुपये से अधिक का चंदा लेती है, तो उस दल को यह चंदे के स्रोत से सम्बंधित जानकारी देनी होगी |

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चुनाव बांड कौन खरीद सकता है (Who Bought Electoral Bonds)

सरकार नें इलेक्टोरल बांड स्कीम 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था | इसके अनुसार भारत का कोई भी नागरिक या कोई भी भरिय फर्म या संस्था इस बांड को खरीद सकती है | यदि कोई व्यक्ति या संस्था इलेक्टोरल बांड खरीदना चाहती है, तो उस संस्था या शख्स के अकाउंट का केवाइसी (KYC) वेरिफाइड होना है |     

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चुनाव बांड कौन भुना सकता है (Who Can Redeem Electoral Bonds)

एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये की कीमत में उपलब्ध चुनावी बांडस को जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29A के अंतर्गत रजिस्टर्ड वह पोलिटिकल पार्टियां ही भुना सकती है, जो पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly  Elections) या आम चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत मत हासिल किये हो | इस धन को चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक अकाउंट में जमा किया जा सकता है | आपको बता दें, कि चुनावी बांड के माध्यम से जमा धन पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाता है |

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चुनाव बांड की मान्यता (Electoral Bonds Recognition)

चुनाव बांड खरीदने या लेने के पश्चात वह 15 दिनों तक वैलिड रहते है अर्थात बांड खरीदने और भुनाने की समय अवधि मात्र 15 दिन है | सरकार का मानना है, कि बांड्स की वैलिडिटी कम होनें के कारण इनका दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा | किसी भी पोलिटिकल पार्टी को बांड मिलने पर इन्हें जल्दसे जल्द कैश कराना होता है |   

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चुनाव बॉन्ड की खासियत (Specialty Of Electoral Bonds)

कोई भी राजनीतिक पार्टी चंदे के रूप में 2000 रुपये से अधिक नगद धनराशि नहीं ले सकती है | यदि कोई व्यक्ति दो हजार से अधिक धनराशि दान करता है, तो उन्हें इसके लिए चुनावी बांड खरीदना होगा | सबसे ख़ास बात यह है, बॉन्‍ड खरीदनें वाले का नाम बांड पर नहीं होता है, जिसके कारण पार्टी को भी इस बात की जानकारी नहीं होती है कि यह बांड किसके द्वारा दिया गया है | इस बात की जानकारी सिर्फ बैंक के पास होती है |

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चुनाव बांड से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी (Important Information Related to Election Bonds)

  • देश का कोई भी नागरिक, फर्म या कम्पनी चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक पार्टी को चंदे के रूप में धनराशि दे सकता है |  
  • इलेक्टोरल बांड खरीदनें वाले व्यक्ति या संस्था का नाम गुप्त रखा जाता है |
  • चुनावी बांड खरीदनें वाले व्यक्ति को अपनी पूरी जानकारी (KYC) बैंक को देनी होगी |
  • इलेक्टोरल बांड पर बैंक द्वारा कोई भी ब्याज नहीं दिया जाता है |
  • चुनावी बांड खरादानें के बाद सिर्फ 15 दिनों तक मान्य होते है |
  • सभी राजनीतिक दलों को चुनाव बांड से मिलनें वाली राशि से सम्बंधित जानकारी इलेक्शन कमीशन को अनिवार्य रूप से देनी होगी |

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यहाँ आपको चुनाव बांड (Electoral Bond) क्या है, इसके बारे में जानकारी उपलब्ध कराई है |  यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट के माध्यम से अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही उत्तर दिया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |

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