फेमा या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम क्या है



फेमा कानून या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम भारत सरकार द्वारा एक कानून है जिसके तहत पुराने कानून फेरा को ख़तम कर दिया गया और उसके स्थान पर कुछ नये प्रावधान लाये गए | आज फेमा से संबधित विषय पर खुलकर चर्चा करेंगे और साथ में फेमा कानून के बारे जानने योग्य बाते आपको बताएंगे |

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फेमा कानून से जुडी जानकारी पूर्ण रूप से पाने के लिए आप यह लेख पूरा पढ़े | फेमा और फेरा में क्या मुख्य अंतर है और फेरा के स्थान पर फेमा कानून क्यों और कब लाया गया, आज इस प्रकार के संभावित प्रश्नों के उत्तर भी आपको मिल जायेगे |

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फेमा या विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 2000 क्या है

बात करते है जब देश में आर्थिक सुधार हो ही रहे थे और भ्रष्टाचार उस समय का मुख्य विषय था | सरकार एक कानून फेरा बनाया जिसे 1975 में पारित किया गया, इसका मुख्य कार्य विदेशी भुगतान पर नियंत्रण लगाना, पूँजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर नजर रखना और विदेशियों द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद को पूर्ण रूप से निगरानी व नियंत्रण में रखना था |



पर बढ़ते समय के साथ साथ, यह अधिनियम भारत के विकास में बाधा बन रहा था | तभी सन 2000 में एक नया अधियम फेमा के नाम से लाया गया जिसे ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 2000’ भी कहा जाता है | इसके तहत अब भारत देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को बढ़ावा, विदेशी पूँजी और निवेश को देश में बढ़ावा जिससे औद्योगिक विकास और निर्यात कोअच्छी प्रगति मिल सके |

इसके साथ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम सही प्रकार से भारत में विदेश मुद्रा में प्रोत्साहन का काम करता है और साथ ही यह भारत के नागरिक को विदेश में संपत्ति अर्जित करने का सुरक्षित विकल्प भी देता है |

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फेरा और फेमा का फुल फॉर्म (Full Form of FERA and FEMA)

फेरा का फुल फॉर्म ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम’ और फेमा का ‘विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम’ होता है | अंग्रेजी में यह फुल फॉर्म क्रमश: FERA (Foreign Exchange Regulatory Act), FEMA (Foreign Exchange Management Act) होता है |

फेमा और फेरा में अंतर (Difference Between FERA and FEMA)

  • फेरा कानून के तहत विदेशी मुद्रा का विनिमय बहुत सख्ती से नियंत्रित किया जाता था | यह कानून एक प्रकार के काला धन और देश में विदेशी निवेश से फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से निपटना था | परन्तु इसके कारण देश में विदेशी निवेश भी प्रभावित हुआ और इसके बाद, सरकार ने फेरा को हटकर फेमा कानून पारित किया |
  • फेमा के तहत विदेश मुद्रा विनिमय का रखरखाव और प्रोत्साहन पर ज्यादा जौर दिया गया जो देश की आर्थिक वृद्धि में वरदान के सामान साबित हुआ |
  • फेरा के तहत दोषी पाने पर क्रिमिनल अपराध का मुकदमा लगाया जाता था जबकि फेमा के तहत सिर्फ सिविल मामला लगाया जाता है |
  • फेरा अधिनियम में दोषी को ही अपने आप को निर्दोष साबित करना होता था जबकि फेमा में अधिकारी को आरोप साबित करना होता है |
  • इसमें दोषी पाने पर सीधा सजा दे दी जाती थी लेकिन फेमा में नोटिस भेजने के 90 दिन के अंदर अर्थ दंडन चुकाने पर कार्यवाही की जाती है |

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यहाँ आपको विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के विषय में जानकारी दी गई | यदि इस जानकारी से सम्बंधित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स केमा ध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करे |

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