गायत्री मंत्र हिंदी अर्थ सहित



गायत्री मंत्र का जाप करने वाले अर्थात गायत्री उपासक के पास भूत प्रेत भूल कर के भी नहीं आते हैं क्योंकि गायत्री मंत्र मन को शांति देने वाला है और इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह इतना कमाल का मंत्र है कि इस मंत्र को स्वयं देवी देवता भी जाप करते थे।

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परंतु ऋषियों के द्वारा तपस्या करने के पश्चात सामान्य लोगों के लिए भी यह मंत्र उपलब्ध करवाया गया। इस प्रकार से गायत्री मंत्र का जाप आपको मानसिक शांति दिला सकता है साथ ही आपको देवी देवताओं की कृपा भी दिलवा सकता है। इस लेख में हम गायत्री मंत्र हिंदी अर्थ सहित पढ़ेंगे।

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गायत्री मंत्र क्या है ?

गायत्री मंत्र माता गायत्री को समर्पित है जिन्हें शांति की देवी कहा जाता है। गायत्री मंत्र निम्नानुसार है : –



ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!

गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ | Gayatri Mantra with Meaning in Hindi

हम प्रकाशमान ईश्वर का ध्यान लगाते हैं और ईश्वर का तेज हमें और हमारी बुद्धि को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। हिंदी में गायत्री मंत्र का अर्थ यह निकल कर आता है। ईश्वर आप ही इस धरती और इस ब्रह्मांड के निर्माण करता हो। आप ही सभी प्राणियों के सुख-दुख को हरने वाले हो। हमारी जान के आधार परमपिता परमेश्वर, हे दृष्टि निर्माणकर्ता मै आप का वर्णन कर रहा हूं।

अर्थात उस प्राण स्वरूप दुख को खत्म करने वाले, सुख के तौर पर श्रेष्ठ, पाप खत्म करने वाले, भगवान स्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण कर रहे हैं। ईश्वर हमारी बुद्धि को सत मार्ग पर प्रेरित करे।

हे परमपिता परमेश्वर हमारी आपसे यही विनती है कि आप मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें और हमेशा मै सही रास्ते पर आगे बढ़ता रहू।

गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या | Meaning Of Gayatri Mantra Word By Word

गायत्री मंत्र में जितने भी शब्द शामिल है उन सभी का अर्थ अलग-अलग है और उनका महत्व भी अलग-अलग है। नीचे गायत्री मंत्र के हर शब्द और उनका अर्थ बताया गया है।

  • ॐ = हम सब की सहायता करने वाला ईश्वर कण कण में उपलब्ध है।
  • भू = धरती जो कि पूरी दुनिया की जिंदगी का आधार और प्राणों से भी अति प्रिय है।
  • भुवः = बिना किसी दुख के, जिसके साथ रहने से सभी प्रकार के दुख खत्म हो जाते हैं।
  • स्वः = वह जो खुद अपने आप में ही पूरी सृष्टि को धारण करते हैं।
  • तत् = उस भगवान के रूप को हम सभी
  • सवितु = जिसने पूरी दुनिया को बनाया हुआ है।
  • र्वरेण्यं = जो स्वीकार करने के लायक सर्वश्रेष्ठ है।
  • भर्गो = साफ और पवित्र स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन स्वरूप है।
  • देवस्य = ईश्वर के समान जिसे सब प्राप्त करना चाहते हैं।
  • धीमहि = धारण करें
  • धियो = बुद्धि को
  • यो = जो देव परमात्मा
  • नः = हमारी
  • प्रचोदयात् = प्रेरित करें

गायत्री मंत्र की उत्पति | Origin of Gayatri Mantra

(गायत्री मंत्र का निर्माण ) : शास्त्रों और पुराणों के अनुसार प्राप्त जानकारियों के हिसाब से यह कहा जाता है कि इस मंत्र की उत्पत्ति तब हुई जब सृष्टि की शुरुआत हुई, तब ब्रह्माजी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ और फिर ब्रह्मा जी के द्वारा गायत्री मंत्र की व्याख्या वेदों के रूप में अपने चारों मुंह के द्वारा की गई।

ऐसा कहा जाता है कि गायत्री मंत्र सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही उपलब्ध था परंतु जब ऋषि विश्वामित्र के द्वारा कठोर तप किया गया तो उनके तप से प्रसन्न होकर के देवताओं ने इस मंत्र को सामान्य लोगों के लिए भी उपलब्ध करवाया। इस प्रकार से यह कहा जाता है कि गायत्री मंत्र के रचयिता ऋषि विश्वामित्र हैं।

गायत्री मंत्र जप के नियम

  • गायत्री मंत्र का जाप करने के कुछ नियम है जिन्हें अवश्य ही आप को ध्यान में रखना चाहिए।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए आपको सुबह के समय का चयन करना चाहिए। सुबह के समय में उठ करके आपको नहा धो करके और साफ कपड़े पहन कर के आरामदायक जगह पर बैठकर के गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • आप जिस जगह पर गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए बैठे वहां का वातावरण शांत होना चाहिए साथ ही एकांत जगह होनी चाहिए।
  • इस मंत्र का जाप चमड़े से बने हुए आंसन पर करने से दोष लगता है। इसलिए प्रयास करें की आसन ऊन/रेशम का हो।
  • मंत्र का जाप करने के लिए आप पालथी मारकर बैठे जाए/ पद्मासन में बैठे।
  • खाली पेट इस मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने के दरमियान आपको गिनती अवश्य करनी चाहिए। बिना गिनती के अगर आप जाप करते हैं तो इसे असुर जाप कहा जाता है।
  • मंत्र जाप करने के लिए आप लोग किसी माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। बेहतर रहेगा कि रुद्राक्ष की माला का अथवा मूंगे की माला का इस्तेमाल करें।
  • आप मंत्र का जाप मन ही मन करें और पूरा एकाग्र होकर के जाप करें।
  • मंत्र जाप करने के पश्चात आपको बीच में उठना नहीं है। अगर किसी वजह से आपको उठना पड़ जाए तो दोबारा हाथ और मुंह धोने के बाद ही जाप करने के लिए बैठे।
  • आपको रोजाना मंत्र का जाप निश्चित समय पर करना चाहिए।
  • मंत्र जाप करने के बाद भूल चूक के लिए आपको सभी देवी देवताओं से माफी की प्रार्थना करनी चाहिए।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति को मांस- मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।

गायत्री मंत्र के फायदे

गायत्री मंत्र कब करना चाहिए

  • गायत्री मंत्र का जाप करने से मुख्य तौर पर मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा गायत्री मंत्र के फायदे क्या है, के बारे में अधिक जानकारी आगे प्राप्त करते हैं।
  • गायत्री मंत्र का रोजाना उच्चारण करने से हमारी बुद्धि कुशाग्र होती है और हमें हमेशा पॉजिटिव विचार आते हैं।
  • अगर इस मंत्र को रोजाना जपा जाए तो इससे हमारे चेहरे पर तेज आता है और हमारी त्वचा चमकदार बनती है तथा हमें गायत्री माता की कृपा प्राप्त होती है।
  • इस मंत्र का जाप करने से मानसिक टेंशन दूर होती है और हमारा भाग्य धीरे-धीरे बदलने लगता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने से हमें सभी देवी देवताओं की कृपा मिलती है, क्योंकि शुरुआत में यह मंत्र सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही था।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने से कोई भी नेगेटिव एनर्जी हमारे आसपास भी नहीं आ पाती है।
  • सभी भूत प्रेत हमसे दूर रहते हैं।
  • रोजाना गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है साथ ही हमारा तन भी शांत होता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने से हमारे दिमाग की याददाश्त भी स्ट्रांग बनती है।
  • गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से हमारा गुस्सा कम होता है।
  • इस मंत्र का जाप करने से हमारी अध्यात्मिक शक्ति का भी विकास होता है।

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गायत्री मंत्र के नुकसान

गायत्री मंत्र कब नहीं करना चाहिए

  • जिस प्रकार से गायत्री मंत्र के कुछ फायदे हैं उसी प्रकार से इसके कुछ नुकसान भी हैं, जो कुछ अवस्था में जाप करने पर साधक को प्राप्त हो सकते हैं। नुकसान इस प्रकार हैं।
  • इस मंत्र का मानसिक तौर पर जाप कर सकते हैं परंतु रात को अगर किसी व्यक्ति के द्वारा इसका जाप किया जा रहा है तो ख्याल रहे कि व्यक्ति शुद्ध साफ हो करके ही इसका जाप करें।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने के दरमियान आपको दारु शराब अथवा मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • आपको विचारों में शुद्धता लाकर के मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप किसी भी प्रकार की वासना के साथ नहीं करना चाहिए।

गायत्री मंत्र का महत्व

गायत्री मंत्र के चमत्कार : हिंदू समुदाय के लोग हिंदू धर्म के पवित्र मंत्रों में गायत्री मंत्र को मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में जिस 4 वेद अर्थात सामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद और यजुर्वेद के सभी सार इसी गायत्री मंत्र में समाहित हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार भी इस मंत्र को सर्वश्रेष्ठ हिंदू धर्म का मंत्र कहा गया है।

गायत्री मंत्र को कुल 24 अक्षरों से मिला करके बनाया गया है और इसे देवी देवताओं का स्मरण बीज भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र में शामिल सभी 24 अक्षरों को वेदांत के ज्ञान का आधार भी दर्शाया गया है। यह मंत्र इतना पवित्र है कि ऋषि मुनि भी इस मंत्र का जाप करते हैं। कहते हैं कि गायत्री मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति के पास भूत पिशाच भूलकर भी नहीं आते हैं।

गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक महत्व | Gayatri Mantra Scientific Research In Hindi

  • इस पावन मंत्र की शुरुवात ॐ से होती है। ओम का उच्चारण करने पर हमारी बॉडी के विभिन्न पार्ट में कंपन पैदा होता है। जैसे कि हमारी जीभ, गले के पीछे वाला हिस्सा, खोपड़ी, तालु।
  • इस मंत्र की वजह से जो कंपन पैदा होता है, उसकी वजह से हमारी बॉडी में हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोन का स्त्राव प्रारंभ हो जाता है। यह हारमोंस इंसानी बॉडी को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की कैपेसिटी प्रदान करते हैं।
  • दैनिक तौर पर गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से हमें दिमागी शांति प्राप्त होती है और हमारा क्रोध भी कम होने लगता है और पढ़ाई में मन ना लगने की समस्या भी मंत्र का उच्चारण करने से धीरे-धीरे दूर हो जाती है।
  • तथा हमारा मन एकाग्र हो जाता है और हम जो भी याद करते हैं वह हमें लंबे समय तक याद रहता है। यह गायत्री मंत्र का चमत्कार/कमाल है।
  • मंत्र का उच्चारण करने के दरमियान हमें काफी लंबी सांस लेनी होती है जिसकी वजह से हमारे सांस लेने की शक्ति और भी मजबूत बनती है और हमारे फेफड़े को भी मजबूती मिलती है, साथ ही हमारी बॉडी में ब्लड सरकुलेशन भी अच्छा होता है।

गायत्री मंत्र कब बोलना चाहिए ?

गायत्री मंत्र का उच्चारण कैसे करें

  • पूजा में बैठने के दरमियान आपको तकरीबन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए अथवा मन ही मन गिनती करते हुए इसका जाप करना चाहिए।
  • घर के बाहर किसी काम को जाने के दरमियान आपको इसका उच्चारण करना चाहिए। इससे आपके काम सफल होते हैं।
  • मंदिर में जाने से पहले भी आप गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।
  • अगर आपके घर के पित्र नाराज हैं तो पितरो को मनाने के लिए भी आप गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।
  • अगर आपको किसी ऐसी जगह पर डर लग रहा है जहां पर भूत प्रेत होने की संभावना ज्यादा है तो आप अपनी रक्षा के लिए गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • दैनिक तौर पर रात को सोने से पहले आपको अपने मुंह को साफ करके गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

FAQ

गायत्री मंत्र किस धर्म से संबंधित है ?

हिंदू धर्म

गायत्री मंत्र कौन सी देवी को समर्पित है ?

माता गायत्री

गायत्री मंत्र का रचयिता किसे कहा जाता है ?

ऋषि विश्वामित्र

गायत्री मंत्र का जाप करने से क्या होता है ?

मानसिक शांति मिलती है।

बिना गिनती के गायत्री मंत्र का जाप करने से क्या होता है ?

असुर जाप कहलाता है।

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