श्रम कानून (Labour law) क्या है



किसी भी देश में निर्माण या कम्पनी को चलाने के लिए मजदूर की आवश्यकता होती है | इसलिए दुनिया में मजदूरों की भूमिका अहम होती है | हम दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली चीजों में घर बनाने में या फिर कोई प्रोडक्ट या अनाज खरीदते है या फिर सडक पर चलने जैसी चीजों पर मजदूर का विशेष योगदान रहता है | इतना सब होने के बावजूद भी हमारे देश में मजदूरों की हालत उतनी अच्छी नहीं है | मजदूरों का सभी क्षेत्रों में इतना योगदान होने के बावजूद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है |

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जिसे देखते हुए सरकार आये दिन मजदूरों की स्थिति में सुधार हेतु नए – नए कदम उठाती रहती है | मजदूरों पर किसी तरह का अत्याचार या फिर उनके साथ कोई घटना या फिर फ्राड होता तो उसके लिए कानून बनाया गया है | यदि आप भी श्रम कानून (Labour law) क्या है, श्रम कानून अधिनियम – संशोधन, सुधार, नये नियम, इसके विषय में जानना चाहते है तो पूरी जानकारी दी जा रही है |

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श्रम कानून (LABOUR LAW) अधिनियम

उद्योग तथा श्रम सम्बन्धी विधान के अधिनियमों के तहत कारखाने एवं श्रमिकों के कार्यों का नियमन (रेगुलेशन) करते हैं एवं कारखानों के मालिकों और श्रमिकों के दायित्वों का उल्लेख करते हैं। कारखाना अधिनियम, 1948, औद्योगिक संघर्ष अधिनियम, 1947, भारतीय श्रम संघ अधिनियम, 1926, भृति-भुगतान अधिनियम, 1936, श्रमजीवी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 आदि उद्योग तथा श्रम सम्बन्धी विधान की श्रेणी के अंतर्गत रखे गए हैं।



सामाजिक सुरक्षा सम्बन्धी नियम के तहत वे समस्त अधिनियम होते हैं जो श्रमिकों के लिए विभिन्न सामाजिक लाभों- बीमारी, प्रसूति, रोजगार सम्बन्धी आघात, प्रॉविडेण्ट फण्ड, न्यूनतम मजदूरी आदि की व्यवस्था करते हैं। इस श्रेणी के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948, कर्मचारी प्रॉविडेण्ट फण्ड अधिनियम, 1952, न्यूनतम भृत्ति अधिनियम, 1948, कोयला, खान श्रमिक कल्याण कोष अधिनियम, 1947, भारतीय गोदी श्रमिक अधिनियम, 1934, खदान अधिनियम, 1952 तथा मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 इसके प्रमुख हैं। भारत के संविधान में वर्तमान में 128 श्रम तथा औद्योगिक विधान लागू किये जा चुके हैं।

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श्रम कानून अधिनियम में संशोधन, सुधार व नये नियम

भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित 6 राज्यों में इसके अधिनियमों में संसोधन किया गया है | इस कानून में संसोधन के बाद यूपी में अब केवल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996 ही लागू किया जायेगा | इसके अलावा दूसरा संशोधन उद्योगों को वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट 1923 और बंधुवा मजदूर एक्ट 1976 का पालन करवाया जायेगा। तीसरे संशोधन के अनुसार उद्योगों पर अब ‘पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936’ की धारा 5 को लागू किया जायेगा। चौथे बदलाव में श्रम कानून में बाल मजदूरी व महिला मजदूरों से संबंधित प्रावधानों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। श्रम कानूनों के अलावा शेष सभी कानूनों को आने वाले 1000 दिन के लिए निष्प्रभावी रखा गया है। औद्योगिक विवादों का निपटारा, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों का स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संबंधित सभी कानून समाप्त कर दिए गए है। इन बदलावों में ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने वाला कानून भी समाप्त किया गया है। अनुबंध श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों से रिलेटेड कानून को खत्म किया गया हैं। लेबर कानून के यह बदलाव नए और मौजूदा, दोनों प्रकार के कारोबार व उद्योगों पर लागू किये जायेंगे। उद्योगों को आने वाले तीन महीनों तक अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में काम करावाने की छूट प्रदान की गई है।

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