एनसीएलटी क्या है



समाचार पत्रों और मीडिया में अक्सर बताया जाता है, कि आज ये कंपनी दिवालिया कर दी गयी है | अभी तक हमारे देश में ऐसी बहुत सारी कंपनियां है, जो दिवालिया हो चुकी है | जब कोई कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो उस कंपनी में सबसे बुरे हालात कर्ज देने वाले बैंक के साथ कर्मचारियों के हो जाते हैं,क्योंकि दिवालिया होने की वजह से उन्हें अपना मेहनताना भी नहीं मिल पाता, लेकिन  सरकार द्वारा अभी कुछ समय पहले ही पेश किए गए कानून में कर्मचारियों को भी दीवालिया हुई कंपनी की संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार प्रदान कर दिया है।

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यदि किसी कंपनी का दिवालिया होता है, तो प्रमुख रूप से यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है |  इसलिए यदि आपको एनसीएलटी के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको एनसीएलटी क्या है, NCLT का फुल फॉर्म , नियम व कार्य की जानकारी प्रदान की जा रही है | 

एनएसडीएल (NSDL) क्या है

एनसीएलटी (NCLT ) का क्या मतलब होता है

एनसीएलटी की शुरुआत मुख्य रूप से कोर्ट द्वारा कंपनियों के संबंध में कानूनों के अंतर्गत संभालने के लिए की गई है। एनसीएलटी एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है, जिसका काम  संरचनाओं, कानूनों को संभालना और कॉर्पोरेट मामलों से संबंधित विवादों का निपटारा करना होता है भारत के संविधान में अनुच्छेद 245 के तहत, NCLT का गठन हुआ है।



वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का गठन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 410 के तहत हुआ था | यह 1 जून 2016 से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए बनाया गया ट्रिब्यूनल है | इसलिए जब किसी कंपनी का दिवालिया हो जाता है, तो सबसे पहले इसका मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास ही भेजा जाता है | यहां इसके लिए इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है, जिसे  180 दिनों के अन्दर कंपनी को रिवाइव करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है और यदि कंपनी 180 दिनों के अन्दर रिवाइव हो जाती है, तो फिर से उसे सामान्य कामकाज करने की छूट प्रदान कर दी जाती  है| यदि ऐसा नहीं हो पाता है, उसे दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाती है |

एनसीएलटी  का फुल फॉर्म (Full Form Of NCLT)

एनसीएलटी को हिंदी में “राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण” कहा जाता है, और इसे अंग्रेजी में “National Company Law Tribunal” (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) कहा जाता है | एनसीएलटी को प्रमुख रूप से कंपनी अधिनियम 2013 के तहत  तैयार किया गया है  जिसने कंपनी अधिनियम 1956 का स्थान प्राप्त कर लिया है | शुरुआती समय में एनसीएलटी की ग्यारह शाखाएं मौजूद थी, दिल्ली में दो, अहमदाबाद इलाहाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में एक-एक शाखाएं स्थापित की गयी थी, जो अब और भी अधिक बढ़ा दी गई है |

एनसीएलटी के कार्य और अधिकार क्षेत्र (Functions And Jurisdiction Of NCLT)

एनसीएलटी के कार्य पर अधिकार क्षेत्र इस प्रकार है –

वर्ग कार्यवाही (Class action)

भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत जिस कंपनी का पंजीकृत हो जाता है और यदि वह कंपनी निवेशकों से धन की चोरी करती है, तो उस कंपनी को एनसीएलटी द्वारा जुर्माना और दंडित किया जा सकता है। निवेशकों और शेयरधारकों को धोखा देकर पैसा बनाने वाली कंपनियों से पीड़ितों को उनके नुकसान की भरपाई भी करना होता है। क्लास एक्शन सूट निजी और सार्वजनिक दोनों कंपनियों के खिलाफ काम करता है, लेकिन बैंकिंग संस्थानों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकती है |

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शेयर ट्रांसफर विवाद (Share Transfer Dispute )

जब भी कोई कंपनी शेयरों को हस्तांतरित करने से इनकार कर देती है या हस्तांतरण का पंजीकरण नहीं करती है, तो पीड़ित व्यक्ति या जो व्यक्ति इस कदाचार की वजह से नुकसान उठाते है, तो वह एनसीएलटी से दो महीने के अन्दर समय-समय पर न्याय मांगने का अधिकार रखता हैं। सुरक्षा हस्तांतरण के लिए अनुबंध और व्यवस्था धारा 58 और 59 के मुताबिक, एनसीएलटी के अधिकार क्षेत्र में शामिल होते हैं।

जाँच पड़ताल (Investigation)

ट्रिब्यूनल किसी भी कंपनी के कामकाज की जांच करने का आदेश दे सकता है | इसके साथ ही यदि कोई आवेदन उस विशेष कंपनी के खिलाफ 100 सदस्यों  के साथ दायर करता है और एनसीएलटी के बाहर कोई भी व्यक्ति या समूह  इसके द्वारा अधिकृत है, तो वह कुछ स्थितियों में जांचकर्ताओं के रूप में काम कर सकता है। वह ट्रिब्यूनल कंपनी की परिसंपत्तियों को फ्रीज कर सकता है और यदि आवश्यक हो तो उत्पादों पर प्रतिबंध भी लगाने आदेश दे सकता है | 

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इस निकाय  से मुख्य रूप से कॉरपोरेट सिविल विवादों के संबंध में फास्ट ट्रैक न्याय में सहायता प्राप्त हुई है और इस निकाय ने न्यायिक प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने में भी योगदान दिया है। इसने एनसीएलटी को विशेष अधिकार क्षेत्र भी प्रदान किया है, जबकि मामलों की सुनवाई करने और फलदायक निर्णय के लिए आवश्यक समय को भी बहुत अधिक कम कर दिया गया है |

अधिकरण को तथ्यों की जांच करने,  चर्चा करने और निगम से संबंधित कानूनी मामलों का निष्कर्ष निकालने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। ट्रिब्यूनल उच्च न्यायालय, औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (BIFR) और औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण के लिए अपीलीय प्राधिकरण (AAIFR) की न्यायिक शक्तियों पर एक स्वतंत्र अधिकार भी बन गया है। इस प्रकार, ट्रिब्यूनल उन सभी कंपनियों के सभी मामलों को  संभालने का काम करता है |

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