किसी भी देश के नागरिकों के लिए स्वतंत्रता मुख्य आधार है, यह स्वतंत्रता नागरिकों को कई अधिकार प्रदान करती है, इन्हीं अधिकारों में मौलिक अधिकार प्रमुख है, मौलिक अधिकार का सरंक्षण सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा किया जाता है | संविधान ने न्यायालय को कुछ विशेष शक्तियां प्रदान की है, जिसके आधार पर वह किसी को भी कार्य करने पर रोक लगा सकती है अथवा कार्य करने का आदेश दे सकती है |
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रिट (Writ) क्या है ?
भारत के संविधान ने न्यायालय को कुछ विशेष शक्तियां या अधिकार प्रदान किये है, जिसके द्वारा न्यायालय इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकारी को एक कार्य करने या कार्य करने से रोकने का निर्देश देती है | इस प्रकार का आदेश चाहने वाला व्यक्ति न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है, इस याचिका को ही रिट के नाम से जाना जाता है |
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संविधान में वर्णन
भारतीय संविधान के तीसरे भाग के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों को लागू करने का अधिकार प्रदान किया गया है |
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रिट के प्रकार
न्यायालय पांच प्रकार से रिट जारी कर सकती है-
- बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- निषेधाज्ञा (Prohibition)
- अधिकार पृच्छा (Quo warranto)
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बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
बन्दी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है, कि शरीर सहित पेश करना | जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो न्यायालय बन्दी प्रत्यक्षीकरण का आदेश दे सकती है, आदेश का अर्थ है कि गिरफ्तार करने के 24 घंटे के अंदर व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष अनिवार्य रूप से पेश करना है | यदि न्यायालय व्यक्ति को अवैध तरीके से गिरफ्तार पाती है, तो उसे छोड़ने का आदेश दे सकती है |
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परमादेश (Mandamus)
परमादेश का अर्थ है कि “हमारा आदेश है।” यह आदेश तब जारी किया जाता है जब कोई सरकार या उसका कोई उपकरण अथवा अधीनस्थ न्यायाधिकरण या निगम या लोक प्राधिकरण अपनें कर्तव्य के निर्वहन करने में असफल रहते है | तब न्यायालय इस प्रकार के आदेश में कानूनी कर्तव्यों का पालन करने का आदेश देती है |
उत्प्रेषण (Certiorari)
सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय, ट्रिब्यूनल या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण द्वारा जारी किये गए आदेश को रद्द करने के लिए उत्प्रेषण रिट को जारी किया जाता है |
निषेधाज्ञा (Prohibition)
निषेधाज्ञा का अर्थ है कि रोकना इसे ‘स्टे ऑर्डर’ के नाम से भी जाना जाता है | इस अधिकार के द्वारा उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय, या अर्ध-न्यायिक सिस्टम को कार्यवाही रोकने का आदेश देती है | इस रिट को जारी होने के बाद अधीनस्थ न्यायालय में कार्यवाही समाप्त कर दी जाती है |
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अधिकार पृच्छा (Quo warranto)
अधिकार पृच्छा का अर्थ है कि “आपका अधिकार क्या है?” यह रिट तब जारी कि जाती है, जब कोई व्यक्ति किसी सार्वजानिक पद पर बिना किसी अधिकार के कार्य करता है, तो न्यायालय इस रिट के द्वारा उसके अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त करती है, उस व्यक्ति के उत्तर से संतुष्ट न होने पर न्यायालय उसके कार्य करने पर रोक लगा सकती है |
रिट जारी कौन करता है?
रिट जारी करने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के पास सुरक्षित है, अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 के तहत इन्हें रिट जारी करने का अधिकार प्रदान किया गया है |
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