एनआरसी, एनपीआर का क्या मतलब है



एनआरसी, एनपीआर की जानकारी (About NRC & NPR)

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) देश के सभी स्थानीय निवासियों की एक सूची है। यहां स्थानीय स्तर का अर्थ गांव, कस्बा, जिले से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर डाटाबेस तैयार करना है। वर्ष 2004 में सिटिजनशिप एक्ट 1955 को संशोधित किया गया था, जिसके  अंतर्गत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए प्रावधान जोड़े गए।

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नागरिकता कानून में यह प्राविधान किया गया है कि केंद्र सरकार देश के प्रत्येक नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। सरकार द्वारा देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नेशनल रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण भी गठित किया जा सकता है। इसी एक्ट के सेक्शन 14 के अंतर्गत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का प्रावधान भी किया गया है। एनआरसी, एनपीआर का क्या है? इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |

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एनआरसी, एनपीआर फुल फार्म क्या है (NRC, NPR Full Form)

एनआरसी को हिंदी में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और अंग्रेजी में National Register of Citizens कहते है | एनपीआर को हिंदी में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register) कहते है | जिसका आधार नागरिकता कानून 1955 के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 2003 में तैयार ‘नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्र वितरण) नियम है। यह वही नियम हैं, जो भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं।



एनआरसी क्या है (NRC Kya Hai)

एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर)के माध्यम से देश में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों की पहचान की जाती है। सरकार इसके लिए सूचना जारी करके किसी भी क्षेत्र में रहने वाले लोगों से उनकी पहचान के वैध दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहती है। इन दस्तावेजों का परीक्षण किया जाता है। इसके बाद वैध नागरिकों की सूची प्रकाशित की जाती है। इसमें दावे-आपत्ति का प्रावधान भी होता है। इसके बाद नागरिकता की अंतिम सूची जारी की जाती है। इस सूची में शामिल लोगों को ही राज्य या देश का नागरिक माना जाता है। हाल ही में असम में एनआरसी लागू की गई है।

एनपीआर क्या है (NPR Kya Hai)

एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) का उपयोग सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। लोगों के बायोमेट्रिक डाटा के माध्यम से योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करने में मदद मिलती है। यदि कोई बाहरी व्यक्ति देश के किसी हिस्से में छह महीने से अधिक समय से रह रहा है, तो उसका ब्योरा भी एनपीआर में दर्ज किया जाता है। एनपीआर में लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही सही माना जाता है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता।

एनपीआर और एनआरसी में अंतर (Difference Of NPR & NRC)

एनपीआर अर्थात नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) में काफी अंतर है। एनपीआर का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। एनआरसी का उद्देश्य जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान करना है, वहीं 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है। बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में 6 महीने से रह रहा है, तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है।

एनपीआर अर्थात राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर जल्द मोदी कैबिनेट की मुहर लग सकती है। एनपीआर को स्वीकृति मिलने के बाद देश के प्रत्येक नागरिक के लिए इसमें में अपना नाम दर्ज कराना अनवार्य होगा। एनपीआर में ऐसे लोगों का रिकॉर्ड होगा, जो किसी भी क्षेत्र में 6 महीने से रह रहे है, प्रत्येक नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा।

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एनपीआर लाने का उद्देश्य क्या है (Objective of Bringing NPR)

एनपीआर का उद्देश्य देश के प्रत्येक स्थानीय निवासी की पहचान का संपूर्ण डाटाबेस तैयार करना है। इसमें उसका परिचय और बायोमेट्रिक ब्यौरा शामिल रहेगा। दूसरे शब्दों में यह देश के हर नागरिक की जानकारी को एक जगह इकठ्ठा करने का काम है।

एनपीआर से जानकारी (Information From NPR)

सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों से उनके बारे में जानकारी लेते हैं। हर स्थानीय निवासी से नाम, माता-पिता, लिंग, वैवाहिक स्थिति, पति/पत्नी का नाम, घर के मुखिया से संबंध, लिंग, जन्मतिथि, जन्मस्थान, राष्ट्रीयता, वर्तमान पता, निवास की अवधि, शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय की जानकारी मांगी जाती है। इसे नोट करके उसकी रसीद भी दी जाती है।

एनपीआर के अनुसार स्थानीय निवासी कौन है (Local Residents According to NPR)

जनसंख्या रजिस्टर में शामिल करने के लिए स्थानीय निवासी का अर्थ किसी स्थान पर 6 महीनों या उससे ज्यादा समय से रह रहा व्यक्ति है। उस स्थान पर अगले 6 महीनों या उससे अधिक समय तक उसी स्थान पर रहने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को भी स्थानीय निवासी माना जाएगा। इसमें लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही दर्ज किया जाएगा।

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