आयकर में छूट के नियम क्या है



जिन लोगों को इनकम टैक्स भरना होता है, उन लोगों के इनकम टैक्स की तारीख नजदीक आने पर आयकर दाताओं की चिंताएं और भी अधिक बढ़ जाती है, कि उन्हें समय रहते है इनकम टैक्स को भरना है, लेकिन ऐसे भी बहुत से लोग होते है, जिन्हे इस बात की जानकारी ही नहीं होती है, कि आयकर में छूट के नियम क्या है ? इनकम टैक्स एक्ट 1961  में धरा 80सी, 80डी, 80सीसीडी (1बी) और (24बी) कई ऐसी धाराएं होती है, जिनके माध्यम से आयकर देयता में आसानी से कमी ला सकते है |

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इसलिए यदि आपको आयकर में छूट के नियम के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको  आयकर में छूट के नियम क्या है , इनकम टैक्स बचाने के उपाय व प्रावधान की जानकारी प्रदान की जा रही है |

आयकर विभाग टोल फ्री नंबर

आयकर में छूट के नियम की जानकारी

आयकर अधिनियम 1961 के तहत, जो व्यक्ति एक निश्चित आय से अधिक की कमाई करते है, उन लोगों को इनकम टैक्स की भरपाई करनी होती है। इसके साथ ही इस अधिनियम में कुछ ऐसे खर्चे और निवेश भी तय किए गए हैं, जो अधिक आय का हिस्सा होने के बावजूद भी टैक्स छूट के हकदार होते हैं, जिसमें धारा 80 सी शामिल किया गया है | इस धारा के तहत निवेश विकल्पों में पैसा लगाना या इस छूट के लिए अधिकृत मदों में खर्च करना होता है |



इनकम टैक्स बचाने के उपाय 

आप कुछ प्रावधानों से इनकम टैक्स बचा सकते है, जो इस प्रकार से है –

 धारा 80 सी

भारत में टैक्स निर्धारण संबंधी जो भी कानून लागू किये गए हैं वे, सभी आयकर अधिनियम 1961 के तहत आते हैं। यह अधिनियम कानून 1 अप्रैल 1962 को देश भर में लागू कर दिया गया था। यह एक ऐसी धारा होती है, जिसमें हर साल सरकार अपनी जरूरत के मुताबिक़ बदलाव  और संशोधन करती रहती है और साथ ही जरूरत पड़ने पर नए नियम भी लागू कर दिए जाते है | 

यह अधिनियम इस संबंध में दिशा-निर्देश देता है कि, किस व्यक्ति या संस्था को किस हिसाब से टैक्स भरने की आवश्यकता होती है, उसे कैसे कर्ज चुकाना होता यही और न चुकाने के स्थिति में  उसके ऊपर किस तरह की कार्यवाही की जा कस्ती है | इसके साथ ही इनकम टैक्स छूट योग्य आय से अधिक आय होने पर भी किन खर्चों और निवेशों पर आप इनकम टैक्स में अलग से छूट प्राप्त कर सकते हैं। या भी दिशा निर्देश देता है |

ई-पैन ( E-PAN) क्या है

न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस)

आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (2) के अंतर्गत, कर्मचारी को उसके मूल वेतन का 10 फीसदी तक एनपीएस में निवेश पर करछूट का लाभ प्रदान किया जाटा है, जिससे वह अपना टैक्स बचा सकता है | 

जैसे, यदि किसी व्यक्ति का सालाना मूल वेतन 5 लाख रुपये है तो वह एनपीएस में निवेश पर 50 हजार रुपये तक कर छूट का दावा कर सकता है। इसके लिए नियोक्ता द्वारा एनपीएस में निवेश किया जाता है।

पीएफ: पूरी तरह करमुक्त निवेश

भविष्य निधि में योगदान पूरी तरह करमुक्त होता है । इसमें निवेश पर कर छूट के लाभ के साथ रिटर्न से हुई आमदनी पर भी कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस फंड का संचालन भविष्य निधि अधिनियम 1925 के अंतर्गत किया जाता है |

यहाँ पर हमने आपको आयकर में छूट के नियम के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है |  यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट के माध्यम से अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही उत्तर दिया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |

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