जब किसी संवैधानिक मामले या फिर जिन मामलों में विधि के मौलिक की व्याख्या देनी होती है तो इसकी सुनवाई पांच या इससे अधिक न्यायाधीशों के द्वारा की जाती है | उस पीठ को ही संवैधानिक पीठ कहा जाता है | इसके साथ ही भारत में संविधान पीठ का प्रावधान, संविधान की धारा 145(3) में उपलब्ध है ।
इसके मुताबिक, यदि किसी मामले की सुनवाई में कानून का कोई महत्वपूर्ण मामला संविधान के व्याख्या से संबंधित हो तो , ऐसे पीठ (बेंच) में न्यायधीशों की कम से कम 5 संख्या होती है जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश होते है | यहां पर आपको संवैधानिक पीठ क्या होता है | संविधान पीठ का गठन कैसे होता है | इसकी सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है |
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संवैधानिक पीठ क्या होता है?
जब सुप्रीम कोर्ट में वैधानिक मामलों से जुड़े सवाल और कानून की व्याख्या से जुड़े ऐसे सभी मामलों की सुनवाई की जाती है तो यह सुनवाई 5 जजों की स्थायी संवैधानिक बेंच की द्वारा ही की जाती है | जो एक संवैधानिक पीठ होता है | इस पीठ का गठन हो जाने के बाद लगभग 70 साल के देश के न्यायिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवैधानिक पीठ का गठन किया गया है |
सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या कितनी है ?
इस समय सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 है, वहीं इससे पहले 1950 में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस सहित कुल जजों की संख्या केवल 8 थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जजों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा जिसके बाद एक संशोधन के माध्यम से जजों की संख्या बढ़ा दी गई |
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संविधान पीठ के पास महत्वपूर्ण केस
सुप्रीम कोर्ट में बढ़ रहें मामलो की संख्या को देखते हुए चीफ जस्टिस ही अब तक के सभी मामलों में जजों की भागीदारी के आधार पर 5 जजों की संविधान बेंच का गठन करते आ रहें हैं। अभी भी लगातार सुप्रीम कोर्ट में केसों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है | इसलिए अब इसे देखते हुए संविधान पीठ के पास एक ही वक्त में काफी बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण मामले झुलझाने रहते है |
संविधान पीठ का गठन कैसे होता है?
जब किसी केस को सुलझाने के लिए दो न्यायधीश एक दूसरे के खिलाफ रहते हैं और वह मामला सुलझने का नाम नहीं लेता है तो ऐसी स्थित को देखते हुए तीसरे न्यायाधीश को सुनवाई करने के लिए सीजेआई द्वारा नियुक्त कर लिए जाता है | उदाहरण स्वरूप- जब दो न्यायधीशों की राय अलग-अलग होती है तभी केस को मुद्दे तक ले जाने के लिए संवैधानिक पीठ गठन होता है | जिसमें जजों की संख्या 3 या 5 या फिर 7 जजों की बेंच का गठन होता है | जजों के गठित इस समूह को संविधान पीठ कहते है |
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