संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है



एक कल्पना करे कि आप क्रिकेट जोकि एक लोकप्रिय खेल है, यदि इस खेल में संबधित नियम हटा दिया जाए तो क्या होगा? क्या आप यह जान पायेंगे कि आप खेल में क्या कर सकते है और क्या नहीं? यही सवाल संविधान के माध्यम से मूल अधिकार व कर्तव्य के रूप में दिया गया है |

अगर हमारे संविधान में हमारे जीवन के बुनियादी नियमो के बारे में कुछ न लिखा होता तो, आज लोकतंत्र के द्वारा दी गयी शासन व्यवस्था फ़ैल हो गयी होती | जैसे हमे मालूम है कि संविधान में भारत के संघीय सरंचना का वर्णन के साथ साथ शक्तिया का विभाजन किया गया है जिसे कार्येपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के रूप में बांटा गया है | इसी प्रकार संविधान के द्वारा ही हर एक भारतीय नागरिक के लिए कुछ मूल अधिकार जिन्हें मौलिक अधिकार भी कहा जाता है और जिनके साथ कर्तव्य भी जुड़े है, निर्धारित किये गए है |

आज इस लेख के माध्यम से आप अपने मौलिक अधिकार के विषय में जैसे हमारे पास कितने और कौन कौन से मौलिक अधिकार है, इसके विषय में चर्चा करेंगे और साथ ही हमारे मूल अधिकार के साथ कौन कौन से कर्तव्य भी शामिल किया गए है इस विषय पर भी प्रयाप्त रूप से प्रकाश डाला जाएगा |

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मौलिक अधिकार या मूल अधिकार क्या है? (Fundamental Rights in Hindi)

भारत के संविधान द्वारा भारत के हर के नागरिक के बुनियादी रूप में कुछ अधिकार दिए गया है जिनके द्वारा हम भारत के निर्माण में अपना सहयोग दे सकते है | इन्हें ही मौलिक अधिकार के रूप जाना जाता है, ये निम्न प्रकार है :-

समानता का अधिकार

भारत के किसी भी नागरिक द्वारा धर्म, जाति, लिंग, मूल, वंश, जन्म स्थान इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव निषेध है |

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स्वतंत्रता का अधिकार

इस के तहत देश के नागरिक को अपने विचार प्रकट करने, देश के किसी भी हिस्से में आने जाने, देश के किसी भी हिस्से में निवास करने, अपनी अनुसार कोई भी कार्य करने (देश विरोधी न हो), पैसे कमाने और खर्च करने का पूर्ण अधिकार दिया गया है|

शोषणके विरुद्ध अधिकार

यह अधिकार के तहत निम्न बिंदु वर्जित है:-

  • 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से मजदूरी कराना जोकि जोखिम भरा है जैसे खदान और फैक्ट्री, कारखाने आदि |
  • किसी नागरिक को बिना पैसे दिए काम कराना |
  • किसी मनुष्य को बेचना व खरीदना |
  • किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ कार्य कराना |

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धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी

  • अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानना व उसका प्रचार करना |
  • जबरन धर्म परिवर्तन या इच्छा के खिलाफ धार्मिक कार्य करना निषेध है |

संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धित अधिकार

अपनी इच्छा अनुसार भाषा का चयन, लिपि और संस्कृति का पालन करना तथा उसका विकास करने का पूरा अधिकार |

संविधानिक उपचार का अधिकार

  • एक अपराध के लिए बार बार सजा नहीं दी जा सकती |
  • किसी अत्याचार या मूल अधिकारों के हनन के लिए न्याय हेतु न्यायलय जाने का पूर्ण अधिकार |
  • बिना किसी कानून उल्घंन के अपराधी नहीं ठहराया जा सकता |

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भारतीय नागरिको के कर्तव्य (संविधान द्वारा प्रदत्त)

संविधान के अनुसार अधिकार व कर्तव्य एक दूसरे के पूरक है, इसी लिए संविधान में मूल अधिकार जोड़ते समय कर्तव्य को ध्यान में रखकर इसे भी जोड़ दिया गया | हमारे संविधान द्वारा प्रदत निम्न कर्तव्य निर्धारित किये गए है:-

संविधान का पालन करना

  • भारत का झंडा फहराना, मैला व फटा हुआ न हो |
  • यदि झंडा आपति जनिक स्तिथि में मिले तो उसे इकट्ठा करके जमीन में दबा दे और निश्चित करे कि वह पैरो से न कुचला जाए |
  • विधायका द्वारा बनाये गए कानून का पालन करे और देश के न्याय संस्था के निर्णय का सम्मान करे |

आदर्शो का पालन करना

  • देश की आजादी आन्दोलन में प्रेरणा स्वरुप लिए उच्च स्तर के आदर्शो का पालन व उन्हें अपने जीवन में संजोय रखना व उनका सदैव पालन करे |
  • देश की अखंडता व एकता बनाए रखना |
  • देश में सबके सबकी प्रति एक सामान भाव रखे और छोटी छोटी बातो के लिए किसी भी नागरिक के प्रति मनमुटाव व लड़ाई झगडा न किया जाए | जाति, धर्म, भाषा, रंगभेद की छोटी भावना से सदैव उच्चा स्तर रखे |
  • भाईचारे व अखंडता के मन का भाव रखे व देश की सम्प्रभुता का पालन करे |

देश की रक्षा करना

भारत देश को आंतरिक व बाहरी मुसीबतों से देश की रक्षा करे | देश की सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करे | संकट के समय हर प्रकार का त्याग करे और देश में शांति व स्थायित्व प्रदान करने में सहयोग करे |

समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना

देश के समस्त नागरिको के प्रति सामान भावना रखे तथा जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेद भाव न करे | ऐसी प्रथा का त्याग करे जिससे स्त्री की भावना को ठेस पहुचती हो |

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गौरव शाली परम्परा का परिरक्षण

भारत देश की सदियों पुरानी परम्पराओ का महत्व समझे और उसका परीक्षण करे |

पर्यावरण की रक्षा करना

देश में प्रयाप्त संसाधन होने के बाद भी उसका उपयोग किफायती तरीके से किया जाए | विकास की भावना से पर्यावरण को नुकसान न पहुचे और प्राक्रतिक सम्पदा जैसे पेड़, फूल, नदिया, झील आदि को सुरक्षित व साफ रखा जाए जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहे |

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पुरानी कुप्रथा जो लोकहित में नहीं है, त्याग किया जाए और अच्छी परम्पराओ को आगे बढाया जाए | ज्ञान बढ़ाने का प्रोत्साहन किया जाए और वैज्ञानिक दृष्टी कोण अपना जाए |

सर्वजनिक संपत्ति का रक्षा करना

देश की सार्वजानिक संपत्ति जैसे ईमारत, स्थानकी रक्षा करे और यदि कोई इसे नुकसान पहुछाने की कोशिश करे तो उसे रोके |

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सामूहिक गतिविधियों को बढ़ावा देना

ऐसी गतिविधि जो देश के विकास (व्यक्ति व देश का) में सहायक हो, बढ़ावा दे |

बच्चो को शिक्षा का अधिकार

माता पिता या सरक्षक के रूप में 6 से 14 वर्ष के बच्चो (बालक और बालिका) को शिक्षा दिलाए |

अन्य कानून

  • राज्य द्वारा लोकहित में बनाये गए कानून का सम्मान व पालन करे |
  • सरकार की विभिन्न जन कल्याण योजनाओ को चलाने के लिए सरकार कर लगाती है | देश के नागरिक सरकार को ईमानदारी से कर जमा करे |
  • प्रजातंत्र में अपनी सहभागिता करने के लिए अच्छा प्रतिनिधि चुने, किसी लोभ वश अपना व्यस्कमताधिकार का दुरपयोग न करे |
  • सार्वजानिक पद पर आसीन होने के बाद बिना भेदभाव के देश के हित में काम करे और देश को आगे बढ़ाये |

हमे उम्मीद है कि आपको नागरिक के मौलिक अधिकार व कर्तव्य के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त हुई होगी | अपने सुझाव व प्रश्न आप कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से हम तक पहुचा सकते है | साथ ही इस लेख को आगे शेयर करना न भूले |

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