सुरक्षा परिषद (UNSC) क्या है ?



द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अधिकतर देशों को महसूस हुआ कि एक ऐसे गठन का निर्माण हो, जिससे दोबारा किसी तरह की जान और माल की हानि ना हो। इसी समस्या के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का निर्माण किया गया जिसका सिद्धांत विश्व में शांति को सुनिश्चित करना है।

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संयुक्त राष्ट्र के 6 अंग होते हैं जिसमें से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक महत्त्वपूर्ण अंग है। हमारा देश भी इस परिषद का काफी लंबे समय से सदस्य रहा है और अपनी सेवा निभा रहा है। शुरुआत में यह परिषद थोड़ा कमज़ोर था लेकिन रूस के बिखर जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ताकत में इज़ाफ़ा देखने को मिला और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बहुत सारे कार्यों में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लेख के माध्यम से आपको हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं इसलिए इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?

संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 महत्त्वपूर्ण अंगों में से एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद है जिसकी स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1945 के दौरान की गई थी। अंग्रेजी में इसे UNSC भी कहा जाता है। UNSC का लक्ष्य विश्व में अमन और शांति को कायम रखना है। संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ नए सदस्य जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव से जुड़े कार्यों को करना UNSC के कार्यों में से एक है। जब कभी विश्व के किसी भाग में सैन्य सहायता की जरुरत होती है तो UNSC संकल्प के माध्यम से दूसरे देशों को सैन्य सहायता भी प्रदान करता है।



UNSC की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को हुई थी जिसका विषय तैयारी आयोग की रिपोर्ट, सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के चयन और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नियुक्ति पर विचार विमर्श करना था। आजतक UNSC द्वारा बहुत सारे देशों की सहायता की जा चुकी है जिनमें कुवैत, नामीबिया, कंबोडिया, बोस्निया, रवांडा, सोमालिया, सूडान और कांगो आदि जैसे देश शामिल हैं।

UNSC का फूल फॉर्म

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि UNSC का फुल फॉर्म “United Nations Security Council” है और हिंदी में इसे “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे विश्व का सिपाही भी कह देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भूमिका

UNSC संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली सिस्टम है जिसका मूल कार्य विश्व में शान्ति और अमन को बरकरार रखना है। इसके अलावा UNSC के कार्य शांति अभियानों में योगदान देना, अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रतिबंधों को लागू करना और प्रस्ताव के द्वारा सैन्य करवाई को अंजाम देना है।

संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार सभी देश UNSC के नियमों का पालन करने के बाध्य होते हैं और आपको बता दें कि UNSC सदस्य देशों पर प्रस्ताव जारी करने का अधिकार भी रखता है जोकि विश्व का एकमात्र निकाय है। हालाँकि शीत युद्ध के बाद से सुरक्षा परिषद में कुछ परिवर्तनों की आवयश्कता महसूस की जा रही है और UN को इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

UNSC में स्थायी देशों के पास वीटो पावर का अधिकार होता है जिसका अर्थ ‘निषेधाधिकार’ है। इस अधिकार के तहत जब किसी प्रस्ताव पर कोई स्थायी सदस्य सहमत नहीं होता तो वीटो का इस्तेमाल करके उस प्रस्ताव को रोका जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल सदस्यों की सूची

UNSC में कुल 15 सदस्य होते हैं जिनमें से 5 सदस्य स्थायी होते हैं और 10 सदस्य अस्थायी होते हैं और हर दो वर्षों के बाद अस्थायी देशों का चुनाव किया जाता है। UNSC में शामिल सदस्यों की सूची कुछ इस प्रकार है:-

स्थायी सदस्य

देशक्षेत्रीय समूहकितने समय से सदस्य हैं
चीन (China)एशिया प्रशांत समूह1971
फ्रांस (France)पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह1945
रूस (Russia)पूर्वी यूरोपीय समूह1991
संयुक्त साम्राज्य (United Kingdom)पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह1945
संयुक्त राज्य (United States)पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह1945

अस्थायी सदस्य

देशक्षेत्रीय समूहकार्यकाल शुरू हुआकार्यकाल समाप्त हुआ
अल्बानिया (Albania)पूर्वी यूरोपीय समूह20222023
ब्राज़ील (Brazil)लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन समूह20222023
गैबन (Gabon)अफ्रीकी समूह20222023
घाना (Ghana)अफ्रीकी समूह20222023
भारत (India)एशिया प्रशांत समूह20212022
आयरलैंड (Ireland)पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह20212022
केन्या (Kenya)अफ्रीकी समूह20212022
मेक्सिको (Mexico)लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन समूह20212022
नॉर्वे (Norway)पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह20212022
संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates)एशिया प्रशांत समूह20222023

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UNSC के लिए चुनाव की प्रक्रिया

UNSC की चुनाव प्रक्रिया के लिए सम संख्या वाले वर्ष की शुरुआत में अफ्रीका महादीप से दो सदस्य और पूर्वी यूरोप, एशिया-प्रशांत क्षेत्र, लैटिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में से प्रत्येक एक सदस्य को चुना जाता है। बात करें विषम संख्या की तो इस वर्ष की शुरुआत में पश्चिमी यूरोप और अन्य क्षेत्रों से दो सदस्य वहीँ शिया-प्रशांत क्षेत्र, अफ्रीका महाद्वीप, लैटिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में से एक एक सदस्य देश को चुना जाता है।

अगर कोई देश सर्वसम्मति के साथ उम्मीदवार बनता है और उसके समूह से उसे पूर्ण तरीके से समर्थन प्राप्त है फिर भी उस सदस्य देश को वर्तमान सत्र में उपस्थित वोट करने वालों की दो तिहाई वोट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है जोकि वर्तमान में न्यूनतम 129 है अगर इसमें 193 सदस्य देश भाग लेते हैं। 2021 में जब भारत UNSC की सदस्य्ता का उम्मीदवार बना तो उसे 192 में से 184 वोटों के साथ समर्थन मिला। हालाँकि भारत पहले भी कई बार UNSC का सदस्य बना है। भारत देश को वर्ष 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में UNSC के लिए सदस्य्ता प्राप्त हुई है।

UNSC के सामने आने वाली चुनौतियां

भले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विश्व में शांति सुनिश्चित करने के लिए एहम भूमिका निभा रहा है लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कुछ अंदरूनी कमियों के कारण UNSC को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं को जल्द से जल्द हल करना चाहिए।

  • वर्तमान में जो UNSC के स्थायी सदस्य हैं वह अपनी वीटो शक्ति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और ना ही इस शक्ति को किसी अन्य सदस्य को देने के पक्ष में हैं।
  • G-4 समूह में शामिल सदस्य देशों के साथ भारत को काफी सारे मानकों पर भारत को कड़ी प्रतिस्पर्धा का का सामना करना पड़ता है उदाहरण के तौर पर नव विकास सूचकांक, लैंगिक अंतराल सूचकांक आदि में भारत की स्थिति जापान और जर्मनी जैसे देशों से भी खराब है। 
  • भारत देश की सदस्य्ता के लिए चार्टर में कुछ बदलाव करने की आव्यशकता है और इसके लिए स्थायी देशों की सहमति के साथ ही साथ दो तिहाई सदस्य देशों की पुष्टि भी जरूरी है।
  • जहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका बहुपक्षवाद के खिलाफ है वहीँ रूस किसी भी प्रकार के सुधार के लिए सहमत नहीं है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकमात्र प्रतिनिधि होने की इच्छा रखने वाला चीन देश भी किसी बदलाव के लिए सहमत नहीं है और चीन असल में यह भी नहीं चाहता की भारत UNSC का हिस्सा बने।
  • शांति स्थापित करने के लिए चलाए गए अहम अभियानों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत जैसे देशों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
  • UNSC के 50 प्रतिशत से भी अधिक कार्य अकेले अफ़्रीकी देशों से संबंधित होते हैं लेकिन अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका का कोई भी देश इस समूह का हिस्सा नहीं है।

सुरक्षा परिषद में अन्य समूहों की दावेदारी

सुरक्षा परिषद की खामियों में सुधार करने के लिए कई देश समूहों के रूप में सामने आए हैं और अपनी अपनी मांगों को रखते हैं। इनमे से कुछ समूह यह हैं:-

  • L-69 समूह यह भारत, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे 42 विकासशील देशों का एक समूह है जो UNSC के सुधार मोर्चा पर तुरंत करवाई की मांग करता है।
  • अफ्रीकी समूह – इस समूह में लगभग 54 देश शामिल हैं। सुरक्षा परिषद में बदलावों की मांग करने वाला यह दूसरा महत्त्वपूर्ण समूह है। यह समूह अफ्रीका के कम से कम 2 राष्ट्रों को वीटो शक्ति देने और सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनाने की मांग करता है।
  • G-4 समूह – ब्राज़ील, जापान, जर्मनी और भारत से मिलकर बना यह G-4 समूह है। यह देश एक दूसरे को सुरक्षा परिषद स्थायी का सदस्य बनाने की मांग करते हैं और मानते हैं कि सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधित्त्वपूर्ण, न्यायसंगत बनाने की आवश्यकता है।

स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के फायदे

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों की संख्या केवल 5 है परन्तु UNSC में स्थायी सदस्य बन जाने के बाद उस देश को कई शक्तियां प्राप्त होती हैं जो एक अस्थायी सदस्य के मुकाबले ज़्यादा हैं। इन शक्तियों से सदस्य देश कई लाभ प्राप्त करता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-

  • सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्यता से वीटो पावर प्राप्त हो जाती है जोकि किसी अहम निर्णय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • वैश्विक भू-राजनीति में अधिक मज़बूती से अपनी बात रखने के लिए स्थायी सदस्य्ता जरूरी हो जाती है।
  • सुरक्षा खतरों और आतंकवाद के खिलाफ समाधान के लिए स्थायी सदस्य्ता बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।
  • किसी अंतर्राष्ट्रीय निर्णय को लागू करने के लिए और प्रतिबंध लगाने के लिए सुरक्षा परिषद के समर्थन की आवयश्कता होती है जिससे UNSC के स्थायी सदस्य होने पर बढ़ जाते हैं।

इस से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अगर किसी देश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  की स्थायी सदस्य्ता प्राप्त हो जाये तो उस सदस्य देश को कितना लाभ हो सकता है। लेकिन वर्तमान में जो स्थायी सदस्य हैं वह अपनी सदस्य्ता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं जोकि UNSC की एक कमी के रूप में उभर कर आती है।

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