डीआरडीओ (DRDO) क्या है



देश में कई ऐसी मुसीबते आ जाती है, जिनका सामना करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है | इसी तरह डीआरडीओ भी एक संस्था है, यह एक ऐसी विशेष और बड़ी संस्था है, जो मुख्य रूप से भारत की रक्षा के लिए आधुनिक हथियारों का निर्माण करता है और नए नए अनुसन्धान करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाता है | डीआरडीओ को भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधानिक गतिविधियों के लिये शीर्ष संस्था मानी जाती है |

इस संस्था में लगभग 5000 से अधिक वैज्ञानिक और 25000 से भी अधिक तकनीकी स्टाफ कार्य करते है और वो अभी भी देश को नयी ताकत प्रदान कर रहे है | इसके साथ ही डीआरडीओ ने रक्षा बलो की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विशेष सामग्री का विकास करते हुए अपनी एक अहम भूमिका निभाई है | यदि आपको डीआरडीओ (DRDO) के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको डीआरडीओ (DRDO) क्या है , फुल फॉर्म , कार्य व उद्देश्य , DRDO Explained in hindi | इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है | 

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डीआरडीओ का फुल फॉर्म | DRDO FULL FORM

DRDO का फुल फॉर्म “Defence Research and Development Organisation” होता है | वहीं इसे हिंदी भाषा में  “रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन” के नाम से जाना जाता है |

डीआरडीओ के कार्य क्षेत्र (Working Place OF DRDO)

  1. परियाजनाओं/प्रस्तावों की समीक्षा |
  2. आवश्यकता का अनुमोदन |
  3. बोर्डों का आयोजन करना/शामिल होना |
  4. अनुमोदन के लिए प्रसंस्करण कार्य |
  5. कार्यों के प्रगति की निगरानी करना |
  6. बजट का निर्धारण और नियंत्रण |
  7. भूमि अधिग्रहण एस्टेट प्रबंधन |
  8. निति निर्धारण |
  9. भविष्य की परियोजनाओं की योजना बनाना |
  10. गुणवत्ता की गारंटी |
  11. डेटाबेस को बनाये रखना |
  12. सेमिनारों और संगोष्ठियों का आयोजन करना |

डीआरडीओ के कार्य (Work Of DRDO)

डीआरडीओ प्रमुख रूप से 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक समूह होता है, जो विभिन्न प्रकार के शिक्षणों जैसे वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, युद्धक वाहन, इंजीनियरिंग प्रणाली, उपकरण, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणालियों, जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण, सूचना प्रणालियों और कृषि को सुरक्षा प्रदान करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास करता है और भारत को विश्व के सामने एक शक्ति के रूप में दिखाने के के कार्यों को बहुत से करता है | डीआरडीओ मिसाइलों, हथियारों, हल्के लड़ाकू विमानों, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों को लगातार विकसित करने में काम कर रहा है, जिससे सेना को मजबूती प्रदान की जा सके |

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डीआरडीओ की स्थापना कब की गई थी ?

डीआरडीओ की स्थापना सन 1958 मे हुई थी, उस समय इस संस्था को मुख्य रूप से रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप मे स्थापित किया गया था | इसके साथ ही उस समय यह संस्था 10 प्रतिष्ठानों अथवा प्रयोगशालाओं वाला छोटा संगठन ही था, लेकिन अब वर्तमान समय में डीआरडीओ एक व्यापक संगठन के रूप में विकसित किया जा चुका है वहीं, वर्तमान समय में इस संस्था के अंतर्गत लगभग 5000 से अधिक वैज्ञानिक कार्य कर रहे है | इसके अतिरिक्त यहाँ पर 25,000 अन्य तकनीकी स्टाफ कार्य कर रहा है, जो की देश की सेना को मजबूती प्रदान करने में लगे हुए है | यह एक महत्वपूर्ण संस्था मानी जाती है |

डीआरडीओ (DRDO) के उद्देश्य 

  1. डीआरडीओ के वैज्ञनिकों के बीच बेहतर आपसी संवाद द्वारा वैज्ञानिक मनोदशा और पर्यावरण का निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य था | 
  2. विभिन्न विषयों के करने का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों जगहों के ख्याति प्राप्त प्रख्यात विशेषज्ञों को आमंत्रित करके सेमिनार, वाद-विवाद, व्याख्यान, सम्मेलन, परिचर्चा आदि का संचालन करके, विज्ञान और डीआरडीओ प्रौद्योगिकी के बौद्धिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश करता है | 
  3. यह मुख्य रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में हुई नवीनतम खोजों के संबंध में वैज्ञानिकों में जागरूकता का विकास करना चाहता है | 
  4. कार्य संबंधित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सूचना को एकत्र कर वैज्ञानिकों के बीच अध्ययन की प्रवृत्ति और पुस्तकालय संस्कृति को उन्नत करने में डीआरडीओ बढ़ावा देने का प्रयास करता है | 
  5. यह सहकर्मी वैज्ञानिकों के बीच वैज्ञानिक विचारों का आदान-प्रदान करना चाहता है |

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डीआरडीओ (DRDO) से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी 

प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने के  साथ-साथ रक्षा विज्ञान फोरम नियमित रूप से सेमिनार और संगोष्ठी का आयोजन करता है, इस संगोष्ठी के आयोजन में डीआरडीओ और डीआरडीओ से बाहर दोनों के प्रख्यात वैज्ञानिक विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं।

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