ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) कैसे बने?



भारत एक ग्रामीण परिवेश वाला देश है, भारत को कृषि प्रधान देश कहा है | किसान अपने गांव में रहकर अपने खेतों पर कृषि कार्य करते है | अच्छी फसल होने पर किसानों द्वारा अतिरिक्त फसल को बाजार में बेच कर जीवन यापन किया जाता है | यह ग्रामीण जीवन अधिकतर मानसून पर आधारित है, जिससे कई बार किसानों को बहुत ही अधिक हानि का सामना करना पड़ता है |

ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासनिक पहुंच बनाने और ग्रामीणों की इच्छाओं और जरूरतों के अनुरुप संसाधन को पहुंचाने के लिए पंचायती राज की व्यवस्था की गयी है |

विधायक कैसे बनते है

ग्राम प्रधान क्या है (What Is Gram Pradhan)?

प्रत्येक ग्राम सभा द्वारा ग्रामीण स्तर पर उस क्षेत्र के विकास व उन्नति हेतु एक शासनिक प्रतिनिधि के रूप में ग्राम प्रधान या गाँव का मुखिया प्रत्यक्ष रूप से चयनित किया जाता है जो उस क्षेत्र की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई ग्राम विकास अधिकारी के साथ मिलकर ग्राम की योजना व उसको लागू कराता है| यह उस ग्राम पंचायत का अध्यक्ष होता है और गाँव के हित में फैसला लेने का अधिकार ग्राम प्रधान के पास होता है |

पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System)

संविधान निर्माण के समय अनुच्छेद 40 में ग्राम पंचायत के विषय में बहुत ही संक्षिप्त में बताया गया था और राज्यों के ऊपर छोड़ दिया गया इससे पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल सका जिससे राज्यों की इच्छा पर ही इसका गठन हो सकता था |

समितियां (Committees)

भारत सरकार ने पंचायत राज को सही ढंग से लागू करने के लिए समय- समय पर कई समितियों का निर्माण किया जिसने अपनी- अपनी रिपोर्ट सरकार के सामने पेश की यह समितियां इस प्रकार है –

  • बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें (1957)
  • अशोक मेहता समिति की सिफारिशें (1977)
  • पी वी के राव समिति (1985)
  • डॉ एल ऍम सिन्घवी समिति (1986)

संवैधानिक दर्जा (Constitutional Status)

सन 1986 में डॉ एल ऍम सिन्घवी की अध्यक्षयता में समिति का गठन किया गया | इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसके आधार पर संविधान में 73 वां संसोधन किया गया | पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा 24 अप्रैल 1993  को दिया गया | 73 वां संविधान संशोधन द्वारा संविधान में भाग 9 और एक नयी अनुसूची 11 को जोड़ा गया | इसमें अनुच्छेद 243 के अंतर्गत 243क से 243ण तक का प्रावधान किया गया |

73वाँ संविधान संशोधन की विशेषताएँ (73rd Features of the Constitution Amendment)

73वाँ संविधान संशोधन की विशेषताएँ इस प्रकार है-

  • ग्राम सभा |
  • पंचायतों का गठन |
  • चुनाव |
  • आरक्षण
  • सदस्यों की योग्यताएँ |
  • विषयों का हस्तांतरण |

ग्राम प्रधान (सरपंच) की शिकायत कैसे करे

ग्राम सभा क्या है (What Is Gram Sabha)?

एक गाँव या आस- पास के गांवों को मिलाकर 1000 की जनसंख्या पर एक ग्राम सभा का निर्माण किया जाता है | एक ग्राम सभा के सदस्य वह सभी ग्रामीण होते है, जिनका नाम मतदाता सूची में सम्मिलित रहता है | ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा चुने गए सभी पदाधिकारियों को ग्राम पंचायत कहा जाता है, एक ग्राम पंचायत में एक प्रधान और न्यूनतम 9 या अधिकतम 15 वार्ड सदस्यों को चुना जाता है |

ग्राम प्रधान क्या है (What Is Gram Pradhan)?

ग्राम प्रधान (The Head of Gram Sabha) का चुनाव गाँव की जनता द्वारा किया जाता है | यह पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत होता है | एक ग्राम प्रधान को 1000 की जनसंख्या पर चुना जाता है | यह अपने क्षेत्र में ग्रामीणों की समस्याओं को सुलझाने में सहायता करता है | यह सरकारी सुविधाओं को सही व्यक्ति तक पहुंचाने की एक मुख्य कड़ी है |

ग्राम प्रधान कैसे बने (How To Become Gram Pradhan)

ग्राम प्रधान बनने के लिए आपको सामाजिक कार्यों में रूचि लेनी होगी | आपको ग्रामीणों के सुख- दुःख में बराबर साथ रहना होगा | अपने क्षेत्र के सभी लोगों के साथ सामंजस्य बैठाना होगा | आपको अपने क्षेत्र में लोकप्रिय होना होगा | जब आपको यह लगे की जनता के बीच आपकी अच्छी पकड़ है तब आप प्रधान का चुनाव लड़कर ग्राम प्रधान बन सकते है |

योग्यता (Eligibility)

  • ग्राम प्रधान बनने के लिए व्यक्ति को उसी ग्राम पंचायत में रहना अनिवार्य है अथार्त उसका निवास स्थान उसी ग्राम पंचायत में हो | कुछ राज्यों की विधान सभा में ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए आठवीं या दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है |
  • राजस्थान विधानसभा ने पंचायती राज संशोधन विधेयक 2015 के अंतर्गत सरपंच के लिए कक्षा आठ उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता रखी गयी थी लेकिन नयी सरकार के गठन के बाद इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया |
  • हरियाणा राज्य सरकार ने ग्राम प्रधान के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा दस उत्तीर्ण रखी है | महिला उम्मीदवार एवं अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए यह योग्यता आठवीं रखी गयी है | इस प्रकार से समय- समय पर राज्य सरकार ग्राम प्रधान की योग्यता में परिवर्तन करती रहती है |

वेतन (Salary)

प्रत्येक राज्य में ग्राम प्रधान का वेतन अलग- अलग है, उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान का वेतन 3500 रूपये से बढाकर 5000 रूपये करने का आदेश दिया गया है | इसके अतिरिक्त ग्राम प्रधान को 15000 रूपये प्रति माह अलग से दिए जाते है इसका भुगतान यात्रा भत्ता एवं अन्य खर्चों के रूप में किया जाता है |

ग्राम प्रधान का चुनाव कैसे होता है? (Gram Pradhan Election Process in Hindi)

  • ग्राम प्रधान या मुखिया का पद बहुत ही महत्वपूर्ण है, प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार ग्राम प्रधान का चुनाव कराया जाता है | इसके चुनाव के लिए राज्य सरकार पहले स्वीकृति प्रदान करती है, जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ग्राम प्रधान के चुनाव कराने की घोषणा करता है | घोषणा के साथ ही अचार संहिता भी लागू कर दी जाती है | इस घोषणा में एक समय सारणी जारी की जाती है, जिसमें पर्चा दाखिल करने, नाम वापस लेने और मतदान की तिथि का उल्लेख किया जाता है |
  • जो व्यक्ति ग्राम प्रदान का चुनाव लड़ना चाहता है, वह निर्धारित तिथि तक पर्चा दाखिल कर सकता है, नाम वापस लेने की तिथि के बाद निर्वाचन अधिकारी प्रत्येक प्रत्याशी को एक चुनाव चिन्ह आवंटित करता है |
  • प्रत्याशी अचार संहिता के नियमानुसार अपने चुनाव चिन्ह पर वोट देने का प्रचार अपने क्षेत्र में करता है | इसके लिए वह गांव की गली- गली में घूम कर लोगों से मिलता है और अपने पक्ष में मतदान करने का विनम्र आग्रह करता है |
  • अगर प्रत्याशी की छवि अच्छी होती है और वह लोगों की हर समय सहायता करने के लिए तत्पर रहता है, तो मतदान के दिन गाँव के सभी मतदाता उसे अपना वोट देते है | मतदाता अपनी इच्छा के अनुसार प्रत्याशी को मतदान करता है |
  • मतदान पूरा होने के बाद पूर्व नियोजित तिथि को मतगणना की जाती है | इस मतगणना में जिस प्रत्याशी को अधिक वोट प्राप्त होते है, उसे विजयी घोषित किया जाता है | निर्वाचन अधिकारी जीते हुए प्रत्याशी को प्रमाण पत्र प्रदान करता है |

ग्राम प्रधान को शपथ (Oath)

जीते हुए ग्राम प्रधान को पीठासीन अधिकारी या ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा शपथ दिलाई जाती है | इस शपथ के बाद ही वह अपना कार्यभार ग्रहण कर सकता है |

ग्राम प्रधान के कार्य (Work of Sarpanch OR Mukhiya)

  • एक ग्राम प्रधान के रूप में व्यक्ति को गाँव का चतुर्मुखी विकास करना प्रथम प्राथमिकता होती है |
  • ग्राम प्रधान गाँव के प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय में निरीक्षण करता है, यदि विद्यालय में किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो वह उच्च अधिकारियों की सहायता से उस समस्या का निवारण करता है |
  • गांव में सभी सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति को दिलाना ग्राम प्रधान का मुख्य कार्य है |
  • गांव में सड़क, बिजली, पानी की समस्याओं को सुलझाना इसके लिए उच्च अधिकारियों के समक्ष गांव का प्रतिनिधित्व करते हुए गांव की समस्या को विस्तार पूर्वक रखना |

ग्राम प्रधान की सूची