पंचक का क्या मतलब होता है



हिन्दू संस्कृति में प्रत्येक कार्य करने से पूर्व मुहूर्त देखने का विधान है, किसी कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है, तब पंचक पर भी विचार किया जाता है | पंचक को लेकर लोगो के मन में भय तथा भ्रम की स्थिति बनी रहती है, किसी अशुभ कार्य के होने पर पंचक पर विचार किया जाता है, क्योकि माना जाता है पंचक समय में किये जाने वाले कार्यो का फल पांच गुना बढ़ जाता है |

इसलिए यदि आप भी किसी कार्य की शुरुआत करने जा रहे है, तो पंचक के अनुसार अपने कार्य को आरम्भ करने अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते है | यहाँ पर आपको “पंचक का क्या मतलब होता है | पंचक में शुभ व अशुभ कार्य के बारे में जानकारी” उपलब्ध कराई गई है |

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पंचक किसे कहते हैं

पंचक नक्षत्र का अर्थ पांच आवृत्तिया होना होता है, जिसके अंतर्गत कोई भी कार्य इस नक्षत्र में किया जाना है तो उसका फल पांच बार प्राप्त होता हैं | ज्योतिष ज्ञान में पंचक को शुभ नहीं माना जाता है, अशुभ एवं हानिकारक नक्षत्रो के योग से पंचक नक्षत्र बना है | अनेक नक्षत्रो के मिलने से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहते है | कुम्भ तथा मीन राशि पर जब चन्द्रमा रहता है, तो उस समय को  पंचक कहते है | पंचक के अंतर्गत पांच नक्षत्र आते है, जिन्हे पंचक नक्षत्र कहा जाता है वह घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती है | पंचक नक्षत्र के अंतर्गत शुभ तथा विशेष कार्य नहीं किये जाते है | नक्षत्र चक्र में 27 नक्षत्र होते है, जिसमे घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती, यह अंतिम पांच नक्षत्र दूषित माने गए है | प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया गया है, जिसमे प्रत्येक दिन एक नक्षत्र रहता है इसलिए घनिष्ट से रेवती तक पांच नक्षत्र होने के कारण पांच दिन पंचक नक्षत्र लगा रहता है |

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पंचक नक्षत्र के प्रभाव

  • पंचक नक्षत्र के प्रथम नक्षत्र घनिष्ठा में अग्नि का भय रहता है।
  • पंचक के दितीय नक्षत्र शतभिषा में परिवार या लोगो के मध्य कलह होने के योग बनते हैं |
  • पंचक का तृतीय नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद रोगकारक नक्षत्र होता है।
  • पंचक के चतुर्थ नक्षत्र में उत्तराभाद्रपद में धन के रूप में दंड प्राप्त होता है |
  • पंचक के पंचमी नक्षत्र रेवती में धन की हानि की संभावना होती है।

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पंचक नक्षत्र के शुभ एवम अशुभ कार्य

  • पंचक के दौरान जब घनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि लगने का भय होता है उस समय लकड़ी, घास, कंडे, कैरोसिन आदि ईंधन का सामान एक त्रित नहीं करना चाहिए |
  • पंचक नक्षत्र में किसी व्यक्ति की मृत्यु तथा शव का अंतिम संस्कार करने से उस परिवार या निकटजनों में पांच लोगो की मृत्यु और होने के योग बन जाते है इसके निवारण के लिए कुसा का पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार करके गरुण पुराण सुना जाता है |
  • पंचक नक्षत्र के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करना हानिकारक माना जाता है, क्योकि यह यम की दिशा मानी जाती है |
  • पंचक नक्षत्र के दौरान रेवती नक्षत्र में घर की छत नहीं बनाना चाहिए, विद्वानों का मानना है इससे धन की हानि और घर में क्लेश उत्पन्न होता है।
  • पंचक नक्षत्र में पलंग बनवाना या बिस्तर खरीदना भी बड़े संकट का आवाहन करना माना जाता है |

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पंचक के प्रकार

  1. पंचक नक्षत्र का प्रारम्भ रविवार के दिन से होने पर इसे रोग पंचक कहते है, इसके प्रभाव से शारीरिक तथा मानसिक परेशानिया होती है |
  2. पंचक नक्षत्र का प्रारम्भ सोमवार से होने पर राज पंचक कहते है, इसका फल शुभ माना जाता है, इसके फलस्वरूप सरकारी नौकरी तथा संपत्ति सम्बन्धी मामलो में सफलता प्राप्त होती है |
  3. मंगलवार से प्रारम्भ होने वाले पंचक नक्षत्र को शुभ नहीं माना जाता है, इसके अंतर्गत आग लगने का भय होता है, तथा निर्माण कार्य, औजारों की खरीद तथा मशीनरी सम्बंधित कार्य नहीं करने चाहिए लेकिन न्यायालय सम्बन्धी मामलो में सफलता की संभावना होती है |
  4. बुधवार से प्रारम्भ होने वाला पंचक नक्षत्र अशुभ फल देने वाला नहीं होता है, इस नक्षत्र के अंतर्गत निषेध कार्य नहीं करने चाहिए|
  5. बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला पंचक नक्षत्र सामान्य फल देने वाला होता है | अशुभ नहीं होता है, इस इस नक्षत्र में निषेध कार्यो को छोड़ कर सभी कार्य किये जा सकते है |
  6. शुक्रवार से प्रारम्भ होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते है, इस नक्षत्र में धन की हानि होने की सम्भावना होती है| इसलिए धन सम्बन्धी कार्य तथा यात्रा नहीं करना चाहिए |
  7. शनिवार से प्रारम्भ होने वाला पंचक अधिक घातक होता है, इसे मृत्यु पंचक भी कहते है | इस नक्षत्र में व्यक्ति को मृत्यु तुल्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इस दिन कोई हानिकारक कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे चोट लगना, दुर्घटना तथा मृत्यु की आशंका हो |

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पंचक नक्षत्र में शुभ एवम अशुभ फल

ज्योतिष के अनुसार पंचक नक्षत्र में कुछ कार्यो को करना शुभ तथा कुछ कार्यो को अशुभ माना जाता है | घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्रो में शुभ कार्य करना सही माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रो में अशुभ माना जाता है | इन नक्षत्रों के किसी भी चरण में शुभ कार्य करने से या तो उसमें बाधा उत्पन्न होती है या फिर उसमें सफलता भी प्राप्त हो सकती है |

यहाँ पर आपको पंचक में शुभ व अशुभ कार्य के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी गई है | अब आशा है आपको जानकारी पसंद आयी होगी | यदि आप इससे संतुष्ट है, या फिर अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करके पूंछ सकते है, और अपना सुझाव दे सकते है | आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही जवाब देने का प्रयास किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |

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