एसएचओ (SHO) कैसे बने ?



भारतीय पुलिस डिपार्टमेंट में एसएचओ [SHO] की पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट मानी जाती है। इनके ऊपर किसी भी थाने की पूरी जिम्मेदारी होती है। यह थाने में अपने से छोटे पद पर तैनात कर्मचारियों को जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं, साथ ही अदालत में आवश्यकता पड़ने पर किसी भी मामले में गवाही देने के लिए भी प्रस्तुत होते हैं। एक एसएचओ अधिकारी का रुतबा ही अलग होता है, साथ ही साथ अच्छी सैलरी होने की वजह से इनकी जिंदगी भी काफी अच्छी तरीके से प्रतीत होती है।

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इसके अलावा SHO Officer को समाज में मान सम्मान मिलता है। इस प्रकार अगर आप भी यह सभी चीजें पाना चाहते हैं तो आपको एसएचओ कैसे बना जाता है?  आवश्यक योग्यता इत्यादि जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

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SHO का Full form

SHO का संक्षिप्त नाम “Station House Officer” होता है। किसी भी थाने में कौन से SHO अधिकारी को पोस्ट किया जाना है, इस बात का निर्णय उस जिले का सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) लेता है और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जब चाहे तब किसी भी SHO अधिकारी का ट्रांसफर किसी एक थाने से किसी दूसरे थाने में कर सकता है। हालांकि SHO चाहे तो वह अपने से नीचे काम करने वाले कर्मचारियों को सस्पेंड भी कर सकता है।

एसएचओ (SHO) क्या है?

 जो व्यक्ति इस पोस्ट पर तैनात होता है, उसकी यूनिफार्म का रंग खाकी होता है और उसके कंधे पर दोनों साइड 3-3 स्टार लगे हुए होते हैं, साथ ही स्टार के नीचे लाल और नीले रंग की एक पट्टी भी मौजूद होती है और इसके द्वारा ही यह पहचाना जाता है कि वह व्यक्ति एसएचओ है।

इस पद पर तैनात व्यक्ति को पूरे थाने का इंचार्ज कहा जाता है और जो भी व्यक्ति इस पद पर तैनात होता है, उसका मुख्य काम होता है अपने थाने के अंतर्गत होने वाली या फिर चलने वाली सभी प्रकार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखना। इस पद पर तैनात व्यक्ति कई प्रकार के काम करता है। वह मुख्य तौर पर अपने इलाके में कानून व्यवस्था का पालन सही प्रकार से हो रहा है या नहीं उसकी देखरेख करता है साथ ही किसी भी केस की पूरी जांच पड़ताल करता है।

इसके अलावा थाने में काम करने वाले अपने से छोटे कर्मचारियों को जरूरी दिशा निर्देश देता है साथ ही वह समय-समय पर थाने के आसपास के इलाके में औचक चेकिंग का आयोजन भी करता है। भारत के ग्रामीण इलाके में SHO का काम वाहनों की चेकिंग करना होता है जो कि सामान्य तौर पर सिर्फ ट्रैफिक पुलिस ही कर सकती है।

SHO कैसे बनें?

एसएचओ बनने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति दो प्रकार से इस पोस्ट को प्राप्त कर सकता है, वह दोनों ही तरीके बिल्कुल अलग अलग है। उन दोनों तरीके में से पहले वाले तरीके में आपको इस पोस्ट को हासिल करने के लिए अधिक समय देना पड़ेगा, वहीं दूसरे वाले में आपको पोस्ट को प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी।



इस प्रकार से व्यक्ति अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की वजह से इस पोस्ट को प्राप्त कर सकता है। नीचे आपको “एसएचओ कैसे बनते हैं” इससे संबंधित दोनों ही तरीके के बारे में बताया जा रहा है।

प्रमोशन द्वारा SHO बनना

प्रमोशन प्राप्त करके SHO की पोस्ट प्राप्त करने में काफी टाइम लग जाता है क्योंकि इस तरीके में आपकी  पुलिस डिपार्टमेंट में कांस्टेबल के तौर पर होती है और अच्छा काम करने की वजह से आपको प्रमोशन प्राप्त होता है।

उसके बाद आप हेड कांस्टेबल बनते हैं और फिर आपको अच्छा काम करने की बदौलत प्रमोशन मिलता है तथा आप एएसआई बन जाते हैं और इस प्रकार से प्रमोशन मिलने के बाद आपको एसआई बनने का मौका मिलता है और फिर जब एसआई की पोस्ट पर रहने के दरमियान आप अच्छे काम करते हैं।

साथ ही पुलिस के उच्च अधिकारियों की नजर में आप आते हैं तो आपका प्रमोशन किया जाता है और फिर आपको जाकर के एसएचओ की पोस्ट प्राप्त होती है। इस प्रकार से इस तरीके में आपको कम से कम 10 साल SHO बनने में तो लग ही जाएंगे।

SI से SHO बनना

इस तरीके के द्वारा SHO की पोस्ट प्राप्त करने के लिए आपको जब एसआई की भर्ती निकले तब एसआई की भर्ती में अप्लाई करना होता है और कठिन परिश्रम करके आपको एसआई की एग्जाम को पास करना पड़ता है, उसके पश्चात आपको मेडिकल टेस्ट और फिजिकल टेस्ट को भी पास करना होता है और फिर आपको SI की पोस्ट मिल जाती है।

एसआई की पोस्ट हासिल करने के बाद आपका प्रमोशन होता है और आपको SHO की पोस्ट प्राप्त होती है। हालांकि एसआई बनने के बाद आपका प्रमोशन एसएचओ की पोस्ट पर तभी होगा, जब आप अपने इलाके में बेहतर काम करेंगे।

साथ ही साथ आप पुलिस के उच्च अधिकारी की नजर में आएंगे। इस प्रकार एसआई बनने के बाद आप अच्छे से अच्छा काम करें और अपराध पर लगाम लगाएं जिससे आपके प्रमोशन होने के चांस काफी ज्यादा बढ़ जाएंगे।

SHO के प्रमुख कार्य

ऐसे अभ्यर्थी जो एसएचओ बनने की इच्छा रखते हैं उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि आखिर एसएचओ बनने के बाद उन्हें कौन-कौन से काम करने पड़ेंगे। नीचे एसएचओ के द्वारा किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की चर्चा हमने की है।

एसएचओ के पद पर पदस्थ व्यक्ति को अपनी पोस्टिंग के इलाके में सभी प्रकार की गैर कानूनी गतिविधियों पर नजर बनाकर के रखनी होती है और अगर उसकी नजर में कोई गैर कानूनी गतिविधि आती है, तो उसे रोकने का प्रयास करना होता है। इसके लिए चाहे उसे बल का ही इस्तेमाल क्यों ना करना पड़े। हालांकि उसके द्वारा की गई कार्यवाही कानून के दायरे में ही होनी चाहिए।

एसएचओ के पोस्ट पर पोस्टेड व्यक्ति की जिम्मेदारी यह भी होती है कि वह अपने इलाके में कानून व्यवस्था को बनाए रखें और ऐसे असामाजिक तत्वों से सख्ती के साथ निपटे जो कानून व्यवस्था को भंग करने का प्रयास करते हैं या फिर किसी भी प्रकार से कानून को चुनौती देते हैं।

एसएचओ के पोस्ट पर पोस्टेड व्यक्ति के द्वारा अपने थाने के अंदर काम करने वाले अपने से छोटे पद के कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं और अगर कोई कर्मचारी अनैतिक गतिविधि करता है तो उसे सस्पेंड भी किया जाता है। एसएचओ अपनी टीम के साथ अपने इलाके में दैनिक तौर पर गश्त पर भी निकलते हैं साथ ही वह पेट्रोलिंग पर भी नजर बना करके रखते हैं। पुलिस थाने में आने वाले विभिन्न प्रकार के मामलों की जांच भी SHO अधिकारी करता है और वह अपने पुलिस थाने की तरफ से आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट में भी पेश होता है और गवाही देता है।

हमने ऊपर आपको SHO अधिकारी के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में बताया। हालांकि SHO अधिकारी के कार्य सिर्फ यही तक सीमित नहीं होते हैं। वह कई अन्य प्रकार के काम भी करते हैं। उनके संपूर्ण कामों की जानकारी एसएचओ अधिकारी बनने के बाद आपको सही प्रकार से प्राप्त होगी अथवा आप चाहे तो किसी SHO के पद पर पोस्टेड व्यक्ति से उनके कामों की जानकारी ले सकते हैं।

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SHO बनने हेतु आवश्यक योग्यता [Eligibility for SHO]

चाहे आप एसआई बनने के बाद एसएचओ बने, चाहे आपका प्रमोशन हो करके आपको SHO की पोस्ट मिले। आपको दोनों ही प्रकार में कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएं रखनी होती है जिसकी जानकारी नीचे आपको उपलब्ध की गई है।

  •  एसएचओ बनने के लिए कैंडिडेट का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।
  •  कैंडिडेट को फिजिकल टेस्ट और मेडिकल टेस्ट पास करना भी आवश्यक है।
  • SHO बनने के लिए व्यक्ति के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
  • कैंडिडेट के पास जरूरी दस्तावेज जैसे कि आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, इनकम सर्टिफिकेट, एजुकेशन की मार्कशीट, आरक्षण का सर्टिफिकेट, फोन नंबर और ईमेल आईडी होना भी आवश्यक है।
  • एसएचओ की पोस्ट प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थी की उम्र तय सीमा के अंतर्गत होनी चाहिए।

SHO को मिलने वाला वेतन [SHO Salary and Allowances]

पुलिस डिपार्टमेंट में जितने भी पद हैं उन सभी पदों की अलग-अलग सैलरी होती है। इस प्रकार से अगर कोई व्यक्ति SHO की पोस्ट हासिल करने में कामयाब हो जाता है तो उसे हर महीने तकरीबन ₹60,000 से लेकर के ₹75000 की सैलरी प्राप्त होगी। यह सैलरी वेतन आयोग लागू होने के बाद बढ़ाई भी जाती है। इसके अलावा भी एक एसएचओ अधिकारी को गवर्नमेंट के द्वारा अन्य कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं। एसएचओ अधिकारियों को साल में निश्चित मात्रा में छुट्टी भी मिलती है साथ ही उन्हें वर्दी भत्ता भी मिलता है।

पुलिस थाने का मुख्य अधिकारी कौन है?

पुलिस थाने का मुख्य अधिकारी स्टेशन हाउस ऑफिसर यानी के एसएचओ (SHO) होता है, जो पुलिस थाने के दो से तीन सब इंस्पेक्टर (SI) के साथ मिल कर के अपने इलाके में कानून व्यवस्था का पालन करवाता है।

साथ ही विभिन्न प्रकार के केस को सुलझाने का काम भी करता है। मुख्य अधिकारी अपने थाने की सारी रिपोर्ट अपने थाने के अंतर्गत आने वाले सर्कल ऑफिसर को देता है और सर्कल ऑफिसर (Circle Officer) उस रिपोर्ट को उस जिले के एसपी तक पहुंचाने का काम करता है।

FAQ

SHO का पूरा नाम क्या है?

STATION HOUSE OFFICER

SHO का हिंदी में मतलब क्या होता है?

थाना प्रभारी

एसएचओ की तनख्वाह (Salary) कितनी होती है?

60000-75000 प्रतिमाह

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