जगन्नाथ पुरी का रहस्य क्या है



भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी संस्कृति, सभ्यता और पर्यटन स्थलों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है | इसके साथ ही भारत के इतिहास में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपनी खूबसूरती के साथ-साथ चमत्कारों के लिए विश्व विख्यात है | यहाँ तक कि भारत के विभिन्न राज्यों में कई ऐसे मंदिर हैं, जिन्हें रहस्यमयी और चमत्कारी माना जाता है |

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आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारें में बताने जा रहे है, जिसका नाम पुरी जगन्नाथ मंदिर है | दरअसल यह मंदिर हिन्दूओं के चारों धाम में से एक है, इसके साथ ही जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। तो आईये जानते है, जगन्नाथ पुरी का रहस्य क्या है, मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य, रथ यात्रा और दर्शन का समय क्या है ?

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जगन्नाथ पुरी से सम्बंधित जानकारी        

श्री जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित एक हिन्दू मंदिर है | यह मंदिर भगवान जगन्नाथ अर्थात श्रीकृष्ण को समर्पित है। जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ जगत के स्वामी होता है, जिसके कारण इसे पुरी जगन्नाथ, बैकुंठ धाम, जगन्नाथ पुरी आदि नामों से पुकारते है |  पुरी को भगवान विष्णु और उनके परिवार के घर के रूप में जाना जाता है, इसके साथ ही पुरी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ बेहतरीन स्थापत्य कला के लिए भी विख्यात है।



इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ की मूर्तियां हैं | श्री जगन्नाथ मंदिर की प्रति वर्ष निकलनें वाली रथ यात्रा उत्सव भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों की ही तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथ यात्रा निकाली जाती है।

श्री जगन्नाथ मंदिर वैष्णव परंपराओं तथा संत रामानंद से सम्बन्धित है। इस क्षेत्र को शाकक्षेत्र, नीलगिरी और नीलांचल भी कहा जाता है | पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण नीलमाधव के रूप में अवतरित होकर उन्होंने पुरी में अनेक लीलाएं की थीं | पुरी के लेखागर में पाए गए एक लेख के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण कार्य गंग वंश के सप्तम राजा अनंग भीमदेव द्वारा 1108 ई० में कराया गया था | इस भव्य मंदिर की ऊंचाई 58 मीटर है और इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां विराजमान हैं |

मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य

देश का यह एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहाँ भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ अर्थात लकड़ी की मूर्तियां विराजमान हैं | इस मंदिर की ऐसी अनेक मान्यताएं और विशेषताएं हैं, जो आज भी लोगो के लिए रहस्य बनी हुई है | इसी प्रकार इस मंदिर से जुड़ी के मान्यता यह है, कि जब भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) जी नें अपने शरीर का त्याग किया और उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनका पूरा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया परन्तु उनकी देह का एक भाग शेष रह गया | लोगो की मान्यता है, कि भगवान कृष्ण का हृदय एक जीवित व्यक्ति की भांति ही धड़कता रहा और वह आज भी भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अन्दर सुरक्षित है |      

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बारह वर्ष में बदली जाती है मूर्तियाँ

पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में तीनों मूर्तियां प्रत्येक 12 वर्ष में बदलनें की प्रथा है अर्थात पुरानी मूर्तियों के स्थान पर नई मूर्तियाँ 12 वर्ष पूरे होनें के उपरांत ही बदली जाती है| हालाँकि इस मंदिर में मूर्तियों को बदलनें से जुड़ा एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा है|  जिस समय पुरानी प्रतिमाओं के स्थान पर नयी प्रतिमाएँ रखी जाती है, उस समय पूरे शहर में बिजली काटनें के साथ ही मंदिर परिसर के आसपास तक पूरी तरह से अन्धकार कर दिया जाता है | यहाँ तक कि मंदिर परिसर और बाहर की तरफ सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती कर दी जाती है |  जिस समय मूर्तियाँ बदली जाती है, उस समय मंदिर के अन्दर सिर्फ उन्ही पुजारियों को मंदिर के जानें की अनुमति होती है, जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं|

यहाँ तक कि मूर्तियों को बदलनें वाले पुजारियों की आंखों पर भी पट्टी बाँध दी जाती है और हाथों में दस्तानें पहनाए जाते हैं | यह प्रक्रिया पूरी होनें के उपरांत ही प्रतिमाओं को बदलनें का कार्य किया जाता है | मूर्तियों को बदलनें के साथ ही एक ऐसी चीज है, जो कभी नहीं बदली जाती है और यह है, ब्रह्म पदार्थ | मूर्तियों को बदलनें के दौरान पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ को निकालकर नई मूर्तियों में लगा दिया जाता है |            

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ब्रह्म पदार्थ क्या है

वास्तव में यह ब्रह्म पदार्थ क्या है, इसके बारें में अभी तक किसी के पास कोई जानकारी नहीं है | सभी को सिर्फ इतना ही मालूम है, कि यह ब्रह्म पदार्थ प्रत्येक बारहवें वर्ष पुरानी मूर्ति से निकालकर नई प्रतिमा में बदल दिया जाता है | ब्रह्म पदार्थ को लेकर मान्यता यह है, कि यदि इसे किसी नें देख लिया तो उसके शरीर के चीथड़े उड़ जाएंगे | कुछ लोगो का मानना है, कि इसे देखनें वाले व्यक्ति की तत्काल मृत्यु ही जाएगी |   

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जगन्नाथ पुरी का रहस्य क्या है?

जगन्नाथ मंदिर मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं | इनमें से कुछ इस प्रकार है-

सिंहद्वार का रहस्य

समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर में एक सिंहद्वार है, इस सिंहद्वार में अपनें कदम रखनें से पहले समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है और जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर प्रवेश करते है, तो यह आवाज बंद हो जाती है| इसी प्रकार जैसे ही सिंहद्वार से निकलनें के लिए आप अपना पहला कदम उठाते है, समुद्र की लहरों की आवाज पुनः सुनाई पड़ने लगती है | हालाँकि कुछ लोगो का कहना है, कि सिंहद्वार में कदम रखने से पहले चिताओं के जलानें जैसी गंध आती है और इस द्वार से बाहर निकलते है, यह गंध समाप्त हो जाती है | 

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मंदिर के ऊपर पक्षियों का न उड़ना

अक्सर मंदिरों, मस्जिदों या किसी बड़ी बिल्डिंग के ऊपर अनेक प्रकार के पक्षी मंडराते या बैठे हुए नजर आते है, परन्तु इस मंदिर के ऊपर या परिसर में कभी किसी नें कोई पक्षी उड़ते नहीं देखा, जो वास्तव में एक रहस्यमयी घटना है |  यही कारण है, कि इस मंदिर के ऊपर से हेलिकॉप्टर या एरोप्लेन के उडनें पर प्रतिबन्ध है |   

मंदिर की परछाई और झंडे का रहस्य

पुरी जगन्नाथ मंदिर लगभग 4 लाख वर्ग फिट क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग  214 फीट है | अक्सर हमें किसी मनुष्य या ईमारत की परछाई जमीन पर दिखाई पड़ती है, परन्तु जगन्नाथ मंदिर की परछाई आज तक कभी किसी नें नहीं देखी | यदि हम मंदिर में लगे हुए ध्वज की बात करे, तो इसे लेकर भी एक बड़ा रहस्य है | यह ध्वज सदैव हवा की विपरीत दिशा में लहराता है| यहाँ तक कि मंदिर के ध्वज को प्रतिदिन बदलनें का नियम है| लोगो का मानना है, कि यदि किसी दिन इस ध्वज को नहीं बदला गया तो यह मंदिर आगामी 18 वर्षों के लिए बंद हो जायेगा | 

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मंदिर की रसोई का रहस्य

जगन्नाथ मंदिर को रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहा जाता है, जिसमें प्रतिदन लगभग 500 रसोइये और 300 से अधिक सहयोगी कार्य करते है | मंदिर की रसोई से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य यह है, कि यहाँ भक्तों की संख्या चाहे जितनी अधिक बढ़ जाए परन्तु आज तक कभी प्रसाद कम नहीं पड़ा|  सबसे ख़ास बात यह है, कि जैसे ही मंदिर के बंद होनें का समय आता है प्रसाद अपनें आप ही समाप्त हो जाता है | इस मंदिर में आज तक कभी प्रसाद बचनें या व्यर्थ होनें की बात सामनें नहीं आई |

इसके आलावा मंदिर में बनने वाले प्रसाद को लकड़ी के चूल्हे पर 7 बर्तनों में पकाया जाता है, और यहाँ बर्तन एक-के ऊपर एक करके एक-साथ रखे जाते है अर्थात चूल्हे पर यह बर्तन एक सीढ़ी की तरह रखे होते हैं | इसमें सबसे बड़ी रहस्यमयी बात यह है, कि जो बर्तन सबसे ऊपर होता है, उसमें पकाई जानें वाली सामग्री सबसे पहले पकती है, इसके बाद उसके नीचे वाले बर्तन की, इसकी क्रम से प्रसाद पकता तैयार होता है |     

मंदिर में पूजा का समय

पुरी जगन्नाथ मंदिर के चारो दिशाओं में सिंहस्थद्वार, काम द्वार, धर्म द्वार और उत्तर दिशा में कर्म द्वार या हाथी द्वार स्थापित है। कोरोना के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए लगभग 9 माह से मंदिर में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था | हालाँकि मौजूदा हालातो को देखते हुए कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक दर्शन करनें की अनुमति दी गयी है |  

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रथ यात्रा से सम्बंधित जानकारी

श्री जगन्नाथ रथ यात्रा यहाँ सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है, आपको बता दें कि प्रतिवर्ष निकलनें वाली इस रथ यात्रा की शुरुआत श्री जगन्नाथ मंदिर से होते हुए मौसी माँ मंदिर, श्री गुंडिचा मंदिर तक पहुचती है | इन तीनों मंदिरों की दूरी लगभग 3 किलो मीटर है, और रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा दिनभर यात्रा करते हैं। सबसे ख़ास बात यह है, कि इस रथ यात्रा में भारत के साथ-साथ विदेशी भक्त भी शामिल होते है | रथ यात्रा के दौरान ग्रांड रोड पर भक्तजनों की संख्या इतनी अधिक होती है, कि रोड पर पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती है |       

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यहाँ आपको जगन्नाथ पुरी का रहस्य से सम्बंधित जानकारी दी गई है | यदि इससे संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |

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