गुजरात में फेल रहा चांदीपुरा वायरस क्या है? इसके लक्षण और कैसे करें बचाव



दोस्तो आजका हमारा यह आर्टिकल बहूत ही अहम है, क्योकि कोरोना वायरस के प्रकोप का डर अब तक हमारे दिल से निकला नहीं हैं। डर लगता है कि कहीं फिर 2020 का मंजर ना देखना पड़ जाए, ऐसा ही एक ओर खतरनाक वायरस गुजरात में देखने को मिल रहा हैं। जिसका नाम चांदीपुरा वायरस  है। ये बच्चों में तेजी से फैल रहा  हैं। गुजरात में इस वायरस से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। चांदीपुरा वायरस क्या हैं ? लक्षण और इससे कैसे बचा जा सकता है? आदि सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

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चांदीपुरा वायरस क्या हैं ?

हम आपको बता दें, कि पहली बार 1965 में महाराष्ट्र के एक गांव चांदीपुरा में इस वायरस को देखा गया था. चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है जो रैबडोविरिडे फैमिली से संबंधित है, जिसमें रेबीज वायरस भी शामिल है। इसे चांदीपुरा वेसिकुलोवायरस (CHPV) भी कहा जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा गुजरात में 8500 से ज्यादा घरों और 47 हजार से ज्यादा लोगों का स्क्रीनिंग किया गया है चांदीपुरा वायरस, जो बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। पिछले कुछ दिनों में  गुजरात के अरावली और साबरकांठा जिले में इस वायरस से संक्रमित बच्चों मामले सामने आए हैं। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है और भारत में एक्यूट इंसेफेलाइटिस  (दिमागी बुखार) के प्रकोप से भी जुड़ा हुआ है।

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इस वायरस का नाम चांदीपुरा क्यो हैं ?

चांदीपुरा बीमारी एक वायरस है जो फ्लू से लेकर दिमागी बुखार तक जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इसका नाम चांदीपुरा इसलिए हैं,क्योंकि 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में पहली बार इस वायरस के मामले सामने आए थे। ये वायरस रबडोविरिडे फैमिली का एक आरएनए वायरस है। जो कीट पतंगों, मच्छर और मक्खियों से फैलता है। इस वायरस से महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके प्रभावित हैं। साथ ही इसके कारण अबतक गुजरात में 14 लोगों की मौत हो चुकी है।

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लक्षण

चांदीपुरा वायरस के लक्षण फ्लू से काफी मिलते जुलते हैं जिसकी वजह से लोग इस बुखार को नजरअंदाज कर बैठते हैं। यही लापरवाही बच्चों की मौत का कारण बन रही है। डॉक्टर का कहना है कि ये वायरस बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। अगर संक्रमित बच्चे को समय पर सही इलाज न मिले तो मौत भी हो सकती है। क्योकि ये वायरस सीधे दिमाग पर असर डालता है। वहीं इस वायरस के लक्षण की बात करें तो इस वायरस की चपेट में आने वाले बच्चों को शुरुआत में बुखार आता है, फिर दिमाग में सूजन आती है और जब मामला गंभीर हो जाता है तो उनकी मौत हो जाती है।  बच्चों को उल्टियां, दस्त और सिर में दर्द होता है। कई बार बच्चों में सिरदर्द के साथ होश खो बैठने जैसे लक्षण यानि बेहोशी भी छाने लगती है। ये बुखार बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इसलिए बुखार आते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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बचाव

चांदीपुरा वायरस ज्यादातर बच्चों को संक्रमित करता है जिसमें 9 महीने से लेकर 14 साल के बच्चे शामिल हो सकते हैं। इसके लिए बच्चों को रात में और सुबह-शाम फुल स्लीव्स के कपड़े पहनाएं। मच्छरों को कीड़ों से बचने के लिए रात में नेट का उपयोग करें। मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। खिड़की और दरवाजों को बंद रखें। घर के अंदर मच्छर न आने दें। क्योकि इससे संक्रमित बच्चे में बुखार, डायरिया, उल्टी, दिमागी बुखार जिसे इंसेफेलाइटिस कहते हैं और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस वायरस के खिलाफ फिलहाल कोई वैक्सीन नही बनाई गई हैं। जिस कारण इसे और भी ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है।

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कैसे फैलता है चांदीपुरा वायरस?

यह मुख्य रूप से 14 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। चांदीपुरा वायरस बालू मक्खी, टिक जिसे चिचड़ी कहते हैं उस कीड़े से और मच्छरों से फैलता है। इसका संक्रमण तब फैलता है जब वायरस मक्खी या मच्छर के काटने या उनकी लार के संपर्क में आने से खून में पहुंचता है। वायरस से संक्रमित बच्चों के दिमाग में सूजन समेत कई अन्य लक्षण दिखने लगते हैं। जो एक गंभीर बीमारी है। साथ ही आपको बतादें कि चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है. देश की हेल्थ एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं जल्द ही समस्या से निपटा जाएगा।

FAQ’s
चांदीपुरा वायरस क्या है?

चांदीपुरा वायरस बुखार का कारण बनता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, और तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होता है

वायरस किसका बना होता है?

ये जीनोम, न्यूक्लिक एसिड से बना होता है जो डीएनए (मनुष्यों की तरह) या आरएनए हो सकता है।

चांदीपुरा वायरस पहली बार कब आया ?

इसका पहला प्रकोप साल 1964-65 में महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में हुआ था।

गुजरात में इस समय चांदीपुरा वायरस का क्या असर हैं ?

इस वायरस ने आम जनता के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. सबसे ज्‍यादा चिंताजनक होता है इंसेफ्लाइट्स यानी मस्तिष्‍क में सूजन का आना। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने सोमवार को आश्वासन दते हुए कहा है इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है।

चांदीपुरा वायरस के लक्षण क्या हैं ?

चांदीपुरा वायरस के सबसे सामन्य लक्षण जो होते हैं उसमें तेज बुखार आना और बुखार ऊपर की ओर तेजी से बढ़ना शामिल है। बच्चों को उल्टियां, दस्त और सिर में दर्द होता है। कई बार बच्चों में सिरदर्द के साथ होश खो बैठने जैसे लक्षण यानि बेहोशी भी छाने लगती है।

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