मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन कैसे लें



मकान एक ऐसी चीज़ होती है जो मनुष्य की बुनियादी जरूरतों का हिस्सा होती हैं। हर किसी का सपना होता है कि वह अपने खुद के एक अच्छे से मकान में रहे। लेकिन कुछ अन्य जरूरतों की वजह से व्यक्ति को पैसे जुटाने में सालों लग जाते हैं।

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ऐसे में व्यक्ति के पास विकल्प होता है कि वह अपनी ज़मीन की रजिस्ट्री पर लोन ले सकता है और धीरे-धीरे करके सारा लोन चुका सकता है। इस लेख में हम आपको जानकारी देंगे कि मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन कैसे ले सकते हैं और साथ ही साथ इसके कुछ अन्य विषयों पर भी चर्चा करेंगे। इसलिए आपको इस लेख को अंत तक जरूर ही पढ़ना चाहिए।

होम लोन स्कीम (Home Loan Scheme) क्या है

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन क्या है ?

Table of Contents

यह एक सुरक्षित व्यक्तिगत लोन होता है जिसमें आप अपने मकान की रजिस्ट्री या ज़मीन को गिरवी रखकर लोन प्राप्त करते हैं। इसमें लोन लेते समय आपकी ज़मीन के कागज़ात लिये जाते हैं और जब आप सही समय पर लोन चुका देते हैं तो आपको सही सलामत कागज़ात वापिस कर दिये जाते हैं। इसे बंधक लोन के नाम से भी जाना जाता है। आम तौर पर मकान की रजिस्ट्री पर लोन की ब्याज दरें 8 प्रतीषत तक होती हैं।



मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन लेने के लिए पात्रता मापदंड

जो लोग लोन लेने के लिए योग्य हैं बैंक केवल उन्हीं को लोन देता है। इसलिए यदि आप भी ज़मीन पर लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपको इसके पात्रता मापदंडों को पूरा करना होगा जिसकी जानकारी निम्नलिखित हमने आपको दी है:-

  • आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • आवेदक क्यों आयु 21 से 60 वर्ष के बीच में होनी चाहिए।
  • आवेदक के पास कोई आय का स्रोत होना चाहिए (जैसे नौकरी या व्यवसाय आदि)।
  • आवेदक का सिबिल स्कोर/क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए।
  • आवेदक की क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी होनी चाहिए।
  • अगर मकान के मालिक एक से ज़्यादा हैं तो सभी को सह-आवेदक बनना पड़ेगा।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन लेने के लिए जरूरी दस्तावेज़

हम जब कोई भी लोन प्राप्त करने जाते हैं तो इसके लिए हमें कुछ दस्तावेज़ों की जरूरत होती है ठीक उसी प्रकार से ज़मीन की रजिस्ट्री पर लोन लेने के लिए भी कुछ दस्तावेज़ों की जरूरत पड़ती है जिसकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:-

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर कितना लोन मिल सकता है?

यह बात हर किसी के मन में आती है कि आखिर ज़मीन पर हम कितना लोन प्राप्त कर सकते हैं। तो आपको बता दें कि असल में इसके लिए LTV (लोन टू वैल्यू रेश्यो) निर्धारित की जाती है जिसके आधार पर आपको लोन मिलता है। आमतौर पर आपको ज़मीन की कीमत का 60-70% तक ही लोन मिल सकता है लेकिन कई बैंकों में लोन की वैल्यू अधिक भी होती है। लोन की ज़्यादा से ज़्यादा वैल्यू मकान की कीमत की 15-20 करोड़ ही हो सकती है।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर कितने समय के लिए लोन मिल सकता है?

मकान की रजिस्ट्री या ज़मीन पर आपको लोन 10 से 20 सालों के लिए मिल सकता है लेकिन कई बैंक इससे अधिक समय के लिए भी लोन प्रदान करते हैं। दरअसल लोन की अवधि कई कारणों से प्रभावित हो सकती है जैसे कि:-

  • लोन की रकम |
  • आवेदनकर्ता की इनकम |
  • आवेदनकर्ता की रिपेमेंट क्षमता |
  • मासिक ईएमआई।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन कैसे लें?

लोन लेने से पहले आपको ध्यान रखना होगा कि आपने सभी पात्रता मानदंड, आवश्यक दस्तावेज, नियम व शर्ते आदि को पूरा कर लिया है। उसके बाद आप लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से ज़मीन की रजिस्ट्री पर लोन लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन दोनों की जानकारी हम निम्नलिखित देने जा रहे हैं।

ऑफलाइन तरीका

  • ऑफलाइन माध्यम से लोन लेने के लिए आपको सबसे पहले प्रॉपर्टी लोन के फॉर्म को भरना होगा और बैंक की शाखा में उसे जमा कर देना है।
  • इसके बाद बैंक द्वारा सभी जरूरी दस्तावेज़ों की जानकारी आप से मांगी जाती है और दस्तावेज़ों की जांच की जाती है।
  • फिर बैंक वाद विवाद के लिए क़ानूनी जांच भी करता है।
  • मकान की वैल्यू तय करने के लिए बैंक एक टीम का गठन करता है।
  • वैल्यू के तय होने के उपरांत ही लोन की अधिकतम कीमत तय होती है।
  • सबकुछ सही हो जाने के बाद बैंक आपको लोन प्रदान कर देता है और आपकी ज़मीन की रजिस्ट्री अपने पास रख लेता है।
  • इस सारी प्रक्रिया को 15-20 दिन का समय लग सकता है।

ऑनलाइन तरीका

  • यदि आप ऑनलाइन तरीके से लोन लेना चाहते हैं तो आपको उस बैंक की अधिकारित वेबसाइट पर जाना होगा जहां से आप लोन लेना चाहते हैं।
  • वहां पर आपको लोन लेने के लिए आवेदन करना होगा।
  • लोन के लिए आवेदन करने के बाद बैंक के अधिकारी आप से संपर्क करते हैं।
  • इसके बाद लोन लेने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन की ब्याज दरें कितनी होती हैं?

बैंक होम लोन के मुकाबले मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन की ब्याज दरें 1-2 प्रतीषत अधिक तय करते हैं। इस प्रकार जमीन पर लोन की वार्षिक ब्याज दरें 8-12 प्रतीषत हो सकती हैं। बता दें कि प्राइवेट बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों की ज़मीन पर लोन की ब्याज दरें अधिक होती हैं लेकिन प्राइवेट बैंकों में लोन मिलने की संभावना अधिक होती है। और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से लोन पर ब्याज दरें तय की जाती हैं जिनमें से कुछ तो यह हैं:-

  • मकान की लोकेशन |
  • मकान की वैल्यू |
  • आवेदनकर्ता की इनकम |
  • महिला आवेदक या सह-आवेदक होने पर |
  • रिपेमेंट क्षमता |
  • मकान का प्रकार (रिहायशी, कामर्शियल, आफिस)।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन की प्रोसेसिंग फीस कितनी होती है?

बैंक से जो भी लोन आप प्राप्त करते हैं उसमें से कुछ प्रोसेसिंग फीस वसूली जाती है। यह बैंक पर निर्भर करता है कि आपसे कितनी प्रोसेसिंग फीस ली जाएगी। आम तौर पर यह फीस लोन की रकम का 0.25% से लेकर 2% तक हो सकती है। इसके अलावा प्रोसेसिंग फीस पर GST भी लागू होता है। हालांकि कई बार ऑफर या डिस्काउंट के तहत बैंक आपको प्रोसेसिंग फीस में कुछ छूट भी देता है।

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मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन के लिए शर्तें क्या हैं?

बैंक से मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन लेने के लिए आपको कुछ नियम एवं शर्तों का पालन करना होता है जिन्हें आपको जरूर ही जान लेना चाहिए ताकि लोन लेते समय आपको किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।

  • रिहायशी के अलावा मकान किसी भी तरह के व्यवसाय के उपयोग में नहीं आना चाहिए।
  • संबंधित ऑथर्टी, नगर पालिका आदि से मकान स्वीकृत होना चाहिए।
  • मकान में यदि किराएदार रहते हैं तो उनसे भी NOC लेना जरूरी होता है।
  • शहरी क्षेत्र में मकान की रजिस्ट्री पर लोन मिलने की संभावना ज़्यादा होती है।
  • मकान की वैल्यू तय करने के लिए टीम को गठित किया जाता है।
  • पूरी लोन की अवधि के दौरान मकान या ज़मीन के कागज़ात बैंक के पास ही रहते हैं।
  • आपका मकान रिहायशी सीमा के अंदर होना चाहिए।

इसके अलावा भी अलग अलग बैंकों के अलग अलग नियम व शर्तें हो सकती हैं।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन की विशेषताएं

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर बहुत सारी विशेषताओं को हम देख सकते हैं और इनमें से कुछ विशेषताओं के बारे में निम्न आप लिखित रूप में देख सकते हैं:-

  • अन्य लोन की तुलना में ब्याज दरें कम होती हैं।
  • इस लोन की अवधि लंबी होती है जिसकी वजह से आपको लोन चुकाने में आसानी होती है।
  • मकान यदि खाली है तो भी आप लोन प्राप्त कर सकते हैं।
  • कई कार्यों के लिए लोन का उपयोग किया जा सकता है। जैसे कि बच्चों की शादी के खर्च, बच्चों की शिक्षा के लिए ख़र्च, व्यवसाय में वृद्धि के लिए ख़र्च, मेडिकल इमरजेंसी के लिए आदि।
  • आप चाहें मकान में खुद रहते हैं या किराएदार। दोनों ही स्थितियों में आपको लोन मिल सकता है।
  • कुछ नियम व शर्तों के साथ लोन पर टॉप अप की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन ना चुकाने पर क्या होगा?

अगर आप लोन को नहीं चूका पाते हैं तो बैंक सबसे पहले आपको नोटिस भेजता है। उसके बाद भी यदि आप अपने मकान की रजिस्ट्री या ज़मीन पर लोन को नहीं चुका पाते हैं तो आपके मकान की नीलामी की जाती है और उसे बेच दिया जाता है। इस तरह से आपके लोन की भरपाई की जाती है। इसके अलावा आप पर करवाई भी की जा सकती है।

मकान की रजिस्ट्री या जमीन पर लोन को कौन कौनसी चीज़ें प्रभावित करती हैं?

ऐसे कई कारक हैं जिनको मद्देनज़र रखते हुए आपके मकान की रजिस्ट्री या लोन को तय किया जाता है। इनमें से कुछ कारक इस प्रकार हैं:-

  • मकान की वैल्यू – बैंक द्वारा गठित की गई टीम द्वारा आपके मकान या ज़मीन की वैल्यू तय की जाती है। जितनी अधिक आपके मकान की वैल्यू होगी उतना ही अधिक आप लोन प्राप्त कर सकते हैं।
  • सिबिल स्कोर / क्रेडिट स्कोर – आवेदक के सिबिल या क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर आसानी से उसे लोन मिल सकता है। इस तरह कम सिबिल स्कोर होने पर लोन लेना मुश्किल हो जाता है। इसलिए लोन लेने से पहले आपको अपने सिबिल और क्रेडिट स्कोर को जरूर चेक कर लेना चाहिए।
  • आवेदक की आय – लोन लेते समय आवेदक की आय भी काफी महत्त्ता रखती है। यदि आवेदक की आय कम है तो लोन की रकम कम होगी और ज़्यादा आय होने पर आप ज़्यादा लोन ले सकते हैं।
  • मकान का स्थान – आपका मकान यदि शहरी क्षेत्र में है तो आपको अधिक लोन मिल सकता है वहीं अगर किसी ग्रामीण इलाके में आपका मकान है तो कम राशि में आपको मकान मिलता है।
  • मकान की उम्र – अधिक पुराने मकान पर लोन की वैल्यू कम होती है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि आपके मकान की उम्र जितनी कम होगी उतना अधिक आप लोन प्राप्त कर सकते हैं।
  • आवेदक की रिपेमेंट क्षमता –  आवेदक की आय और अन्य खर्चों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है कि आवेदक कितने समय में लोन चूका सकता है। इस आधार पर लोन की वैल्यू तय की जाती है।

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