एमएलसी क्या होता है ?



अगर आप उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के निवासी है तो आपने एमएलसी (MLC) या विधान परिषद के बारे में कहीं न कहीं जरूर सुना होगा। और इस दौरान आपके जहन में भी यह सावल जरूर आता होगा कि आखिर ये एमएलसी (MLC) क्या है।

तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से एमएलसी क्या होता है ? MLC का फुल फॉर्म | एमएलसी का चुनाव कैसे होता है, कार्यकाल, योग्यता, सैलरी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है। इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

विधायक कैसे बनते है

एमएलसी (MLC) का फुल फॉर्म

एमएलसी का फुल फॉर्म “मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल” होता है।

  • MLC Full Form “Member Of Legislative Council”
  • MLC Full Form In Hindi – “विधान परिषद के सदस्य”

एमएलसी (MLC) क्या होता है ?

एमएलसी (MLC) राज्य के द्विसदनीय विधान मंडल के उच्च सदन विधान परिषद का सदस्य होता है। इसे मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव भी कहा जाता है। MLC को जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नही चुना जाता है। MLC का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। परंतु प्रत्येक 2 साल में एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत हो जाते है।

विधान परिषद के सदस्य यानी MLC को भी विधायक शक्ति मिलती है। अब इतनी बार विधान परिषद का नाम पढ़ने पर आपके दिमाग में विधान परिषद क्या होता है यह सवाल जरूर आ रहा होगा तो चलिए इसके बारे में भी बताते है।

विधान परिषद क्या है ?

किसी भी राज्य के विधान मंडल में दो सदन हो सकते है। जिसमें उच्च सदन को विधान परिषद कहा जाता है। जबकि निम्न सदन को विधान सभा कहा जाता है। विधान परिषद राज्य के विधान मंडल का स्थाई सदस्य होता है इस सदन को भंग नही किया जा सकता है।

भारत के कुल 31 राज्यों में से कुल 6 राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में विधान परिषद में विधान परिषद की व्यवस्था है। विधान परिषद सदस्य की संख्या उस राज्य की विधान सभा सदस्यों की संख्या का एक तिहाई हो सकता है।

एमएलसी (MLC) की योग्यता

जिस राज्य में विधान परिषद है उन सभी में विधान परिषद सदस्य बनने की योग्यता नीचे दर्शाई जा रही है।

  • विधानसभा सदस्य यानी एमएलसी बनने के उस राज्य का स्थाई निवासी होना अनिवार्य है।
  • विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए उम्मीदवार की उम्र 30 वर्ष या उससे अधिक का होना अनिवार्य है।
  • एमएलसी उम्मीदवार को अपने क्षेत्र के मतदाता सूची में नाम होना आवश्यक है।
  • एमएलसी उम्मीदवार सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए। एमएलसी बन जाने पर सरकारी पद या एमएलसी पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

एमएलसी (MLC) का चुनाव कैसे होता है ?

एमएलसी (MLC) यानी विधान परिषद सदस्य का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है इसलिए MLC के चुनाव में जनता वोट नहीं देती है बल्कि कुछ एमएलसी सदस्यों को जनता के प्रतिनिधि वोट देकर चयन करते हैं।

विधान परिषद के एक तिहाई सदस्यों को विधान सभा के सदस्य यानी विधायक चुनते हैं जबकि एक तिहाई सदस्य को जनता के प्रतिनिधि जैसे नगर निगम और नगर पालिका एवं पंचायत प्रतिनिधि के सदस्य चुनते है।

इसके अलावा 1/22 सदस्य को ग्रेजुएट और 1/12 सदस्य को राज्य के शिक्षक चयन करते है बाकि बचे  सदस्य को राज्यपाल चुनते है। उदाहरण के लिए आपको उत्तर प्रदेश के 100 एमएलसी सदस्यों को चुनना हो तो इनमे से 38 सदस्यों को विधायक (MLA), 36 सदस्यों को जनता के प्रतिनिधि, 16 सदस्यों को शिक्षक और ग्रेजुएट और 10 सदस्य को राज्यपाल द्वारा चुना जाता हैं।

एमएलसी का चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं होता है तथा चुनाव चिन्ह भी नहीं होते हैं बल्कि चुनाव में एमएलसी उम्मीदवार के आगे पहली प्राथमिकता लिखना होता है जिस एमएलसी उम्मीदवार को सबसे ज्यादा प्राथमिकता प्राप्त होती है वह चुनाव जीत जाता है।

किस-किस राज्य में विधान परिषद मौजूद है?

साल 2020 से पहले भारत में 7 विधान परिषद वाले राज्य थे लेकिन जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद वर्तमान में कुल 6 राज्य में विधान परिषद है, जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल है। इसके अलावा भारतीय संसद ने असम, राजस्थान और उड़ीसा को विधान परिषद के लिए मंजूरी दे दी है।

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एमएलसी (MLC) की सैलरी

एमएलसी की सैलरी 40,000 रुपया प्रति महीना मिलते हैं जबकि इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते और सुविधाएं दिए जाते हैं जो वेतन से कई गुना ज्यादा होते हैं। जिसमें ₹20 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से TA (Traveling Allowance), राज्य के अंदर ₹2000 रूपया प्रतिदिन राज्य के बाहर 2500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से DA ( Day Allowance) यानी 60 हजार प्रति महीने DA के रूप में मिलते है।

इसके अलावा राज्य की राजधानी में फ्री आवास उसमें 200 यूनिट तक की बिजली फ्री, 3 लाख रुपए प्रति वर्ष हवाई जहाज या रेल यात्रा के लिए दिए जाते हैं।

मोबाइल और इंटरनेट के लिए 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष, मोबाइल और कंप्यूटर खरीदने के लिए 1 लाख रूपये, आवास बदले जाने पर फर्नीचर के लिए 1 लाख रूपये और पति-पत्नी, आश्रित पुत्र पुत्री और माता पिता के मेडिकल इलाज में रिंबर्समेंट दिया जाता है। जबकि एक बार एमएलसी बन जाने पर जिंदगी भर पेंशन दी जाती है।

MLA vs MLC में क्या अंतर होता है ?

  • एमएलए ( Member of Legislative Assembly) और एमएलसी में अंतर की बात करे तो एमएलए के लिए जनता प्रत्यक्ष रूप से वोट करती है जबकि एमएलसी के लिए जनता के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग अप्रत्यक्ष रूप से वोट करते हैं।
  • एमएलए विधानमंडल में निम्न सदन विधानसभा का सदस्य होते हैं। यह अस्थाई सदन होता है जिसे भंग भी किया जा सकता है जबकि एमएलसी विधानमंडल के उच्च सदन के सदस्य होते हैं जिसे भंग नहीं किया जा सकता है।
  • एमएलए का कार्यकाल 5 साल का होता है जबकि एमएलसी का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
  • एमएलसी बनने के लिए न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होता है जबकि एमएलए 25 वर्ष की उम्र से बन सकते हैं।

MLC से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

विधान परिषद का गठन कैसे होता है?

किसी भी राज्य में विधान परिषद का गठन भारतीय संसद और राष्ट्रपति करते हैं।

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के कितनी सीटें हैं?

उत्तर प्रदेश में वर्तमान समय विधान परिषद की 100 सीटें हैं जबकि उत्तर प्रदेश में 134 विधान परिषद सदस्य हो सकते हैं।

बिहार में कुल कितने विधान परिषद सीटें हैं?

बिहार में कुल 75 विधान परिषद की सीटें की व्यवस्था है।

उत्तर प्रदेश में कितने जिले है

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